For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 64 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-65

विषय - "धूप"

आयोजन की अवधि- 11 मार्च 2016, दिन शुक्रवार से 12 मार्च 2016, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 11 मार्च 2016, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर 
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 15994

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हुज़ूर .. बन्दा कोर्निश बजाता है.. 

आदरणीय योगराज भाईजी, आपसे मिला अनुमोदन उत्साहवर्द्धक है. हृदयतल से धन्यवाद व आभार..

सादर

आ. सौरभ पाण्डेय जी प्रदत्त विषय पर इस बेहतरीन चौपई छंद पर हार्दिक बधाई... आदरणीय ! कुछेक शब्द हैं जिन पर मार्गदर्शन चाहूँगा //एलार्म// या  अलार्म ?
 // इधर बनानी टिफिन सुबह की // बनानी  या बनाना ? मार्गदर्शन करें आदरणीय !   

आपकी बधाइयाँ शिरोधार्य आदरणीय सचिनदेव जी. 

हार्दिक धन्यवाद. 

आप अपने क्षेत्र में अंग्रेज़ी के इन शब्दों को जैसे बरतते हैं, वैसे ही बरतिये.

बहरहाल ऐसे प्रश्न तबतक अनावश्यक हैं, जबतक कि अंग्रेज़ी के ऐसे ’शब्द’ अन्य भाषा (हिन्दी पढ़ें) में भी किसी मानक-स्तर को अख़्तियार न कर लें. और आपको भी मालूम है, ऐसा अबतक नहीं हुआ है. लेकिन, यह भी सही है, कि बोलचाल में ये शब्द खूब प्रचलित हैं, अतः, ’नवगीत’ इनसे अस्पृष्यता नहीं बरत सकता.  इस हिसाब से रचनाकार अपने क्षेत्र कीपरिपाटी के अनुसार इनका उपयोग करेगा.

शुभ-शुभ

जिज्ञासा का त्वरित निदान करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी ! 
// आप अपने क्षेत्र में अंग्रेज़ी के इन शब्दों को जैसे बरतते हैं, वैसे ही बरतिये.// इस पंक्ति का आशय मैं यही लगा रहा हूँ कि यदि मैं अपनी प्रचलित भाषा मैं एलार्म को अलार्म लिखता और टिफिन बनानी को टिफिन बनाना लिखता तो भी गलत न होता ! बोलचाल के इस बेहद बारीक मगर अहम भाषाई अंतर को स्पष्ट करने  लिए हार्दिक आभार आदरणीय ! 

// यदि मैं अपनी प्रचलित भाषा मैं एलार्म को अलार्म लिखता और टिफिन बनानी को टिफिन बनाना लिखता तो भी गलत न होता //

जी सही. आशय तो यही है.. :-))

आपके ऐसे प्रयोगों पर कोई उँगली न उठायेगा. कई जगह बॉल (गेंद) को स्त्रीलिंंग की तरह लेते हैं.

जैसे, बॉल दूर गयी. 

लेकिन कई कॉमेंटेटर बॉल को पुल्लिंग संज्ञा की तरह बोलते हैं.

जैसे, बॉल दूर गया.

अब गेंद हो तो वह स्त्रीलिंग ही होगी. लेकिन बॉल पर क्या करेंगे.

देखिये, आपके यहाँ ही टिफिन बनता है. जबकि कई जगह हिन्दी भाषियों के लिए टिफिन बनती है. 

जिसे आप अलार्म की तरह उच्चारित कररहे हैं. उसका ’अ’ हिन्दी का ’अ’ नहीं है. उच्चारण के क्रम में यह ’अ’ से बड़ा और ’ए’ से छोटा यानी, ’अ’ और ’ए’ के बीच की चाज है. ’ऑलार्म’ को फिर हम कैसे उच्चारें ? भाई, हमारे घर में आज भी एलार्म ही बजता रहा है. क्या हम गलत हैं ? नहीं. क्योंकि हम अंग्रेज़ी नहीं बोलते. उस शब्द का अपनी भाषा के उच्चारण के अनुसार प्रयोग करते हैं.  
 

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ! आपका विवेचन तर्क संगत है , व्याकरण के सूत्र रचते समय "पाणिनि" ने इस तथ्य पर चिंतन किया और फिर लिखा
" सूत्रात रूढ़ि वरीयसी "
अर्थात सूत्र / नियम तो अपने स्थान पर उचित होते हैं परन्तु स्थानीयता के प्रभाव में जैसा पहले से लिखा या उच्चारित किया जा रहा है वरीयता उसे ही दी जाना चाहिए। सादर।

सादर धन्यवाद आदरणीय 

बढ़िया चर्चा.... बात स्पष्ट हुई. हार्दिक आभार सर 

जय-जय !

:-)))

// देखिये, आपके यहाँ ही टिफिन बनता है. जबकि कई जगह हिन्दी भाषियों के लिए टिफिन बनती है// :) ) सिर्फ मेरे यहाँ ही नही बहुत जगह टिफिन बनती नही बनता है आदरणीय,  यधपि आपके इस तर्क से मैं सहमत हूँ की ये फर्क क्षेत्रीय है ..... किन्तु एलार्म शब्द पर मैं खुद को अब भी सहमत नही कर पा रहा हूँ क्यूंकि भले ही जब हम अलार्म बोलते हैं तो अंग्रेजी नही बोल रहे होते किन्तु शब्द तो उन्ही का है तो उनके जैसा ही बोलना सही होगा अब जैसे कि हमारे बुन्देलखंडी भाषा मैं कुछ लोग अलार्म को अल्लाराम कहते हैं अब इसको क्या कहा जाए :)) 

आप इस विन्दु पर यदि और बात करना चाहते हैं तो करें, भाई सचिन जी. मुझे कोई आपत्ति नहीं है. कई विदेशी शब्द हैं जो देसी रूप अख़्तियार कर उच्चारण और हिज्जे के अनुसार बदल गये हैं. यह आम है. 

सर्वोपरि, ओबीओ पर आप इतने दिनों से हैं, भाई, अबतक इतना तो आपको भी पता चल ही गया होगा कि मैं स्वयं कई तथ्यों को लेकर बहुत आग्रही हूँ. फिर आप और क्या सुनना या समझना चाहते हैं ? आयोजन में हम रचना सम्बन्धी तार्किक बातें करें न ? आप नवगीत के बरक्स अपनी चर्चा को केन्द्रित रखिये. इस विधा के मर्म को जानिये. लेकिन उससे पहले मूलभूत जानिये कि नवगीत की विधा होती क्या है ? यह अधिक उचित होगा. वर्ना मुझे जो कहना था मैंने कह दिया है. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया जो कुछ भी मेरे साथ हुआ याद ही…"
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"सूरज के बिम्ब को लेकर क्या ही सुलझी हुई गजल प्रस्तुत हुई है, आदरणीय मिथिलेश भाईजी. वाह वाह वाह…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
yesterday
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service