For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देश का सच्चा नागरिक बनाने के लिए आवश्यक है शिक्षा - डा गोपाल नारायन श्रीवास्तव

 

      शिक्षा के बहुत सारे उद्देश्यों में एक प्रमुख उद्देश्य शिक्षार्थी को एक सच्चा अथवा आदर्श नागरिक बनाना भी है I हम शासन की ओर अपनी तमाम सुविधाओं के लिए देखते है और मन माफिक न होने पर शासन की आलोचना भी करते हैं I  हम भूल जाते है की देश के प्रति हमारे भी कुछ कर्तव्य है i अमेरिका के राष्ट्रपति रूज़वेल्ट ने कभी कहा था कि यह मत सोचो देश तुम्हारे लिए क्या करता है बल्कि यह सोचो तुम देश के लिये क्या करते हो I देश के प्रति हमारे कर्तव्यों का ज्ञान शिक्षा कराती है i हम जितने अधिक  शिक्षित, प्रबुद्ध और संस्कारवान होंगे, उतना ही अधिक हमें कर्तव्य बोध होगा और उतने ही सफल हम देश के नागरिक बनेगे I

       हम देखते है की समाज में अनेक इंजीनियर्स, डाक्टर, वकील, सैनिक, शिक्षक, नेता, मंत्री यहाँ तक कि मैंकेनिक्स और विभिन्न कार्यालयों, बैंको तथा प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारी और अधिकारी किसी न किसी रूप में देश की  सेवा कर रहे है I सोचो यदि यह शिक्षित न होते तो क्या देश की सेवा कर पाते I  शिक्षा ने ही उन्हें योग्यता प्रदान की है और इसी के बल पर ये सभी देश के सच्चे  अथवा आदर्श नागरिक कहलाते है I

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

         शिक्षा के महत्व पर विद्वानों के विचार


1-यदि मनुष्य सीखना चाहे तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है – महात्मा गांधी 


2- मेरी शिक्षा दो शब्द की है , प्रेम और ध्यान –आचार्य रजनीश


3- जीवन का रहस्य भोग में पर अनुभव के द्वारा शिक्षा प्राप्ति में है -विवेकानंद  


4- मानव जीवन के लिए शिक्षा वैसी ही है जैसे किसी संगमरमर खंड के लिए मूर्तिकला –एडिसन


5-शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य आयम निर्भर बनाना है – सैमुअल स्माईल्स 


6- कभी कभी हमें उन लोगों से शिक्षा मिलती है जिन्हे हम अभिमान वश अज्ञानी समझते हैं – प्रेमचंद  


7- कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले दो श्रेष्ठ गुण है –बाल गंगाधर तिलक                                           

 -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

     यह आवश्यक नहीं कि शिक्षा केवल अकेडमिक हो I तकनीकी –प्राविधिक और व्यासायिक शिक्षा प्राप्त कर भी हम देश की बहुमुखी सेवा कर सकते हैं i सेवा वे भी करते है जो अपढ व निरक्षर है अथवा धनहीन है I  जीविका चलाने के लिए उद्दम तो हर व्यक्ति करता है और वह अपढ़ व्यक्ति भी देश का नागरिक  है किन्तु देश का नागरिक होने में भी  स्तर भेद है I सच्चा  और आदर्श नागरिक तो वही होगा जो प्रबुद्ध एवं शिक्षित हो I

             जब हम इस बात पर विचार करते हैं कि सच्चा एवं आदर्श नागरिक  बनाने में शिक्षा की भी अहमियत है तो निस्संदेह हमारा ध्यान देश की शिक्षा पद्धति पर जाता है I हमारे देश की शिक्षा पद्धति में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिसमें सच्चा नागरिक बनने के तौर तरीके शिखाये जाते हों I जो बच्चे नागरिक शास्त्र विकल्प के रूप में पढ़ते हैं उन्हें भी नागरिक का महत्व तो बताया जाता है पर वे सच्ची नागरिक कैसे बने इसका प्रशिक्षण उन्हें नहीं दिया जाता जबकि विश्व में अनेक ऐसे राष्ट्र है जहां यह प्रशिक्षण दिया जाता है I

      आज एक सामान्य नागरिक बैंक या सरकारी कार्यालयों में जाता है तो अनेक प्रकार के प्रपत्र उसे पकड़ा दिये जाते है पर उनके भरने का कोई तरीका कही नहीं सिखाया जाता निदान भारत का सामान्य नागरिक बाबुओं की शरण में जाने को बाध्य होता है जहां उसका शोषण किया जाता है I देश के बच्चों को सच्चा नागरिक बनाने की पहल में जो अपेक्षित महत्वपूर्ण कदम है वह यह है कि  उन्हें स्थानीय स्मारकों में ले जांए, उन्हें बताये कि कैसे लोग महापुरुष बने और क्यों हम उन्हें आज भी आदर देते है और प्यार करते हैं I बच्चों को सरकारी कार्यालय ले जांए और उन्हे  बताये कि कार्यालय कैसे चलते है i उन्हें न्यायलय की सैर कराएं और सिखलाएं कि यहाँ कार्य कैसे होता है I उन्हे यह भी  बतायें  कि  विधान सभा और विधान परिषद् किस प्रकार चलती है और लोक सभा तथा राज्य सभा कैसे उनसे वृहत्तर संस्थाएं हैं I बच्चों को यह भी बताएं कि शेष देश और विश्व से वह अपना  सम्बन्ध कैसे स्थापित करें I दुर्भाग्य है की इस व्यवहारिक शिक्षा की और हमारी सरकारें ध्यान नहीं देती I ऐसी अवस्था में यह और भी आवश्यक हो जाता है कि अभी जितनी और जो भी शिक्षा हमें मिल रही है, कम से कम उतना लाभ तो हम अवश्य उठाएं I

       देश का हर वह व्यक्ति जो अठारह वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका है उसे मत देने का अधिकार है पर क्या उसे अपने इस अधिकार के महत्त्व की जानकारी है I अधिकाँश लोग किसी सिद्धांत के आधार पर मतदान नहीं करते I उनमें जातीयता का अंकुश प्रभावी रहता है I यह सरासर अज्ञानता है और यह अज्ञानता समाज में महज अशिक्षा के कारण व्याप्त है I हम रुढियों में बंधे है i जो शिक्षा इन रूढ़ियों का बंधन काट सकती है, वह आज इतनी मंहगी हो गयी है की सामान्य देशवासी उसका बोझ उठाने में स्वयं को असहाय पात़ा  है I सरकार यदि ‘शिक्षा सभी के लिये’ का स्लोगन लेकर जनता को सार्थक सन्देश देना चाहती है तब उसे यह भी देखना होगा की शिक्षा आम आदमी की पहुँच में है या फिर उसकी पहुँच से बहुत दूर जा चुकी है I  यदि शिक्षा आम आदमी पर दुर्वह बोझ बन जायेगी तो देश की अधिकाँश जनता शिक्षा से महरूम रहेगी और सच्चे तथा आदर्श नागरिकों का समूह देखने की अभिलाषा  कभी पूरी नहीं होगी I   

      इस प्रकार  हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते है कि नागरिक होना मात्र हमारा ध्येय नहीं होना चाहिए i हमें मात्र नागरिक नही अपितु, श्रेष्ठ, आदर्श एवं सच्चा  नागरिक बनना है और इसके लिए शिक्षा परम आवश्यक है i संस्कृत में कहा भी गया है –

      विद्या ददाति विनयम - विनयाद याति पात्रताम  

उक्त श्लोक में वर्णित पात्रता ही वह शक्ति है जो हमें शिक्षा से मिलती है और आदर्श नागरिक बनाने की और प्रवृत्त करती  है I

 

         

                         ई एस-1/436, सीतापुर रोड योजना कालोनी

                        अलीगंज सेक्टर –ए , लखनऊ 

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 3097

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर, 

शिक्षा के महत्त्व को दर्शाता और भारतीय शिक्षा पद्धति की विसंगतियों को उजागर करता बहुत अच्छा और प्रेरणास्पद आलेख है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक आभार. नमन 

aa0 vamankar jee

आप कहाँ थे मित्र, कितना मिस किया हमने , आपका सादर आभार .

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
56 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
56 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"ओह!  सहमत एवं संशोधित  सर हार्दिक आभार "
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"जी, सहमत हूं रचना के संबंध में।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"शुक्रिया। लेखनी जब चल जाती है तो 'भय' भूल जाती है, भावों को शाब्दिक करती जाती है‌।…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service