For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 42 (Now closed with 1053 Replies)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

ओपन बुक्स ऑनलाइन नें इसी माह अपने चार वर्ष पूर्ण कर, पांचवें में प्रवेश किया है. सभी जानते हैं कि लुप्त-प्राय लोकविधा 'कह-मुकरी' को पुनर्जीवित कर मुख्य धारा में लाने का श्रेय ओपन बुक्स ऑनलाइन को ही प्राप्त है. साथ ही इस लालित्यपूर्ण विधा के सममात्रिक समतुकांत स्वरुप को ओबीओ द्वारा ही स्पष्टतः स्थापित किया गया है. अत: निर्णय किया गया है कि इस बार का आयोजन इसी विधा पर ही आधारित हो. .तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और इस चुलबुली विधा में दे डालें अपनी सर्वश्रेष्ठ काव्यात्मक अभिव्यक्ति.

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-42:

विधा: कह-मुकरी (विषय मुक्त)      

 

आयोजन की अवधि- शनिवार 12 अप्रैल 2014 से रविवार 13 अप्रैल 2014 की समाप्ति तक  

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 

उन सदस्यों के लिए जो कह-मुकरी के आधारभूत नियमों से परिचित नहीं हैं, उनके लिए इस विधा का संक्षिप्त विधान इस लिंक पर उपलब्ध है. 

 

कह-मुकरियों के आधारभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें.

 

अति आवश्यक सूचना :- 

.

  • रचनायों को विषय के बंधन से भी मुक्त रखा गया है, अर्थात आप अपने मन पसंद विषय पर कह-मुकरी कहने के लिए स्वतंत्र  हैं.
  • इस बार प्रविष्टियों की संख्या को अधिकतम सीमा से मुक्त रखा गया है.
  • सदस्यगण आयोजन की अवधि के दौरान प्रति प्रविष्टि सिर्फ पाँच उच्चस्तरीय कह-मुकरियाँ प्रस्तुत कर सकते हैं.
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.
  • आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  • इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  • रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.



(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 12 अप्रैल 2014 दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका
डॉo प्राची सिंह
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 15535

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. ज्योतिर्मयी जी , आपका आभार !!

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 

सुन्दर कथ्य को शब्दबद्ध करने का प्रयास पर कह्मुकरियाँ अभी थोड़ा समय और मांगती थीं 

देखिये 

बस बातों में छूता उत्कर्ष ...........मात्रा 17 हो रही है 

है आँख मगर,  देखी न जाय  ................"देखी न जाए" क्या ये साजन के लिए प्रयुक्त होता सा लगता है  ?       

क्या सखि साजन, ना सखी न्याय

भागूँ पीछे गिरती पड़ती   

क्या सखि साजन, नही सफलता.................तुकांतता का क्या हुआ यहाँ ?  

जब भी मिलता कुछ सिखलाता

परिवर्तन मुझमें कर कर जाता

लेकिन उसका  आना  खलता

क्या सखि साजन, नहीं विफलता...............विफलता स्त्रीलिंग है पर आपने सारी पंक्तियाँ पुल्लिंग में लिखी हैं ..उन्हें उभयलिंगी होना चाहिए था ताकि साजन का भी भ्रम देती और 'विफलता के लिए भी सटीक होतीं 

जैसे 

मिले अगर तो कुछ सिखलाए 

परिवर्तन मुझमे करजाए 

लेकिन उसका आना खलता 

क्या सखि साजन ? नहिं विफलता 

हम अक्सर रचनाकर्म में उन्नत कथ्य और भाव को सहेजते हुए, शिल्प को अनजाने ही पीछे छोड़ देते हैं 

वैसे सभी मुकरियाँ बहुत सुन्दर हो सकती हैं 

आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 

सादर 

// बस बातों में छूता उत्कर्ष ...........मात्रा 17 हो रही है  //

तो ?  यह तो तीसरी पंक्ति है !.. विधान को देख लीजियेगा.

आपके अन्य सुझावों के लिए हार्दिक धन्यवाद

सादर

 

जी-जी सही कहा 

तीसरी पंक्ति में 15-16-17 हो सकता है

सादर.

// तीसरी पंक्ति में 15-16-17 हो सकता है //

ऐसा क्यों हो सकता है ?

निश्चय ही अंतिम पंक्ति में मुकरने के लिये प्रयुक्त किये जाने वाले शब्द से साम्य बैठाने के लिए ही ये छूट ली जा सकती है.... वैसे मैंने अपने अब तक के प्रयासों में तीसरी पंक्ति को भी १६ पर ही साधा था..इसी से ये बात दिमाग से उतर गयी थी :) 

याद दिलाने के लिए आपका आभार आदरणीय 

कोइ और कारण हो तो अवश्य ही बताइयेगा !

सादर 

जितना आपने कहा है, इस विधा के विधान में उतना ही लिखा है.

लेकिन,

आदरणीय यदि इस छंद को चौपाई छंद की तरह लिखा जाए ...और अंतिम शब्द भी चार मात्रिक ही लिया जाए (जगण नहीं ) तो कह्मुकरियो की गेयता प्रवाह मुग्ध कर देने वाला होता है ...जैसा कि आदरणीय प्रधान सम्पादक महोदय की सभी मुकरियों में परिलक्षित है 

सादर.

ऐसा कुछ कहने के पूर्व क्या हमें कई पहलुओं पर नहीं सोचना चाहिये ?

फिर, ऐसे कुछ कहे को मूल विधान बनाया जा सकता है ? फिर, १६ मात्रिक पद का अंत गुरु-लघु (2 1) में हो तो गेयता प्रभावित होती है ऐसी सोच भ्रामक नहीं है ? क्या ऐसा करना विधान को अनावश्यक बंधन देना नहीं होगा ? यदि नहीं, तो अभी तक छंदोत्सव में जितने छंद शामिल हुए हैं उन सभी में अधिकांश छंदों का पदांत गुरु-लघु से या उससे ऊपर जगण से हुआ है.

वैसे मेरे कहे को स्वीकारा जाय इसकी बाध्यता भी नहीं है.

सादर

आदरणीया प्राची जी , भारी भारी गलतियों के साथ रचना पोस्ट करने के लिये शर्मिन्दा हूँ , कारण कुछ भी हो ग़लती गलती होती है  ,  मै निम्न सुधार के लिये आपसे प्रार्थना करता हूँ --

1-  है आँख मगर,  देखी न जाय   को -  मौके पर अन्धा बन जाय 

2-  भागूँ पीछे गिरती पड़ती  ---    को -- उसको पाने हाथ मचलता    

3 - विफलता वाली रचना को आपने बहुत अच्छा सुधार दिया है , उसे वैसे ही स्वीकार कर रहा हूँ - अतः उसे -

मिले अगर तो कुछ सिखलाए 

परिवर्तन मुझमे करजाए 

लेकिन उसका आना खलता 

क्या सखि साजन ? नहिं विफलता  -- 

आपसे निवेदन है कि उपर लिखित परिवर्तन मेरी रचना मे करने की कृपा करें ॥ सादर !!

प्रतिक्रिया और सुझाव के लिये आपका आभारी हूँ !!

आदरणीय,

हम सभी इस दौर से कभी न कभी गुज़र चुके हैं... और यूँ ही आज तक एक दूसरे से सीख रहे हैं....आपने सुझावों को स्वीकारा आपकी आभारी हूँ ..

मैं संशोधन किये दे रही हूँ 

सादर.

यथा संशोधित 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है।  ग़ज़ल 2122 1212 22 .. इश्क क्या…"
41 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, सबसे पहले ग़ज़ल पोस्ट करने व सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल 2122 1212 22..इश्क क्या चीज है दुआ क्या हैंहम नहीं जानते अदा क्या है..पूछ मत हाल क्यों छिपाता…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए आभार।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service