For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लखनऊ चैप्टर की मासिक कवि-गोष्ठी माह अगस्त 2014 की संक्षिप्त प्रस्तुति – डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

       ओ बी ओ द्वारा मनोनीत संयोजक आदरणीय डा0 शरदिंदु मुखर्जी एवं आदरणीय कुंती जी तथा कतिपय सदस्यों के प्रवास पर होने के कारण ओ बी ओ चैप्टर की मासिक गोष्ठी माह अगस्त 2014 का आयोजन डा0 मुखर्जी की सम्मति से  डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव की    अभिरक्षा में  लखनऊ, निशातगंज की प्रसिद्ध करामत मार्किट के पृष्ठ भाग में स्थित एक शांत कक्ष में दिनांक 17 अगस्त 2014 दिन रविवार को  हुआ I लगातार पड़ने वाली छुट्टियों और मुख्य संयोजक शरर्दिंदु जी की सपरिवार अनुपलब्धता का यत्किंचित प्रभाव इस आयोजन में स्पष्टतः देखने को मिला I इस गोष्ठी में निम्नांकित कवि गण उपस्थित हुये I 
सर्व श्री

1- आदित्य चतुर्वेदी

2- सुश्री विजय लक्ष्मी

3- मनोज शुक्ल ‘मनुज’

4- डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

5- केवल कुमार ‘सत्यम’

6- आलोक रावत ’आहत’

7- एस. सी. ब्रह्मचारी

8- आत्म हंस ‘वैभव’

 

           कवि गोष्ठी का शुभारम्भ सर्व सम्मति से डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव की अध्यक्षता एवं श्री आदित्य चतुर्वेदी के कुशल एवं आनुभविक संचालन में माँ सरस्वती के चरणों में दीप जलाने और पुष्पादि समर्पित करने के उपरांत दोपहर एक बजे श्री मनोज शुक्ल ‘मनुज’ की वाणी वंदना के साथ हुआ I मनुज जी ने अपनी कई रचनाये सुनायी और ‘जवानी’ शीर्षक कविता में जवानी के हजार रंगों को उजागर किया I उनका निम्नांकित मुक्तक कवियो द्वारा सराहा गया-

                                               वक्त का चेहरा घिनौना हो गया

                                              आदमी अब कितना बौना हो गया

                                               सभ्यता का जो दुपट्टा था कभी

                                              आज वैश्या का बिछौना हो गया  I

            केवल प्रसाद ‘सत्यम’ जी इस आयोजन के सक्रिय कार्यकर्त्ता रहे I इन्हों छंद और गजल से श्रोताओं का मन बहलाया I पीपल वृक्ष पर आधारित अपनी कविता में उन्होंने पीपल के औषधीय गुणों के साथ पीपल के सामाजिक एवं आध्यात्मिक पक्षों की भी चर्चा की I

          सौभाग्य से आकाशवाणी लखनऊ के ऐंकर श्री आत्म हंस ‘वैभव’  जी इस गोष्ठी के प्रमुख सहभागियों में से एक थे I वे वीर-रस के प्रख्यात कवि है और उनके तीन आह्वान-गीत भारत के पूर्व प्रधान मंत्री आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी जी द्वारा भिन्न-भिन्न अवसरों पर  पुरुस्कृत हुए है I श्री वैभव जी ने अपने वीर रसात्मक गीतों से स्वाधीनता दिवस की यादो को पुनः जीवित कर दिया I उनके गीत की कुछ पंक्तियाँ निम्न प्रकार हैं –

                               बागो मे फूल खिले हों जब तब हाला के गीत रचा करता हूं I

                                  प्याला पिलाते हुए प्रिय को मधुशाला के गीत रचा करता हूं I

                                       वैभव जो युग का कवि है  युग बाला के गीत रचा करता हूं I

                                           आग लगी हुयी बाग़ में हो तब ज्वालाके गीत रचा करता हूं I

             इस गोष्ठी में प्रसिद्ध गजलकार और कवि श्री आलोक रावत ‘आहत’ की उपस्थिति ने आयोजन में चार चाँद लगा दिये I उन्होंने ‘मेरे देश की मिट्टी – I’ नामक अपने लम्बे गीत से कवियों को मंत्रमुग्ध कर दिया I फिर उन्होंने ‘मेरी जिदगी में उजाले बहुत हैं ---I’ शीर्षक से एक सम्मोहन पैदा किया जो इसके आख़िरी शेर तक बरक़रार रहा – ‘ ये रहने भी दो अपने अश्के मुरौव्वत , मेरी मौत पर रोनेवाले बहुत हैं I’ इनके गजल की कुछ पंक्तियाँ निदर्शन स्वरूप प्रस्तुत हैं –

          जब भी खेतों में धान मरता है I

          साथ  उसके  किसान मरता है I

          कहाँ  मरते  हैं मुसल्माँ  हिन्दू

          मेरा   हिंदुस्तान   मरता   है I 

 

           कवयित्री विजय लक्ष्मी ने ’ऐसी-तैसी’ कविता में पहले तो पाकिस्तान की अच्छी खबर ली फिर अपनी गजलो से सबको चमत्कृत किया I अनुभवी एवं विद्वान ब्रह्मचारी जी ने अपनी जवानी के दिनों की याद कर श्रृंगार –रस की धारा बहाई I उनकी एक रूमानी कविता इस प्रकार थी – 

                                            गीत  रचूंगा  बैठो  थोडा I

                                                               तेरा यह उन्मादित यौवन

                                                               मचले रह–रह यह पागल मन

                                                              जुल्फें जरा हटा लो सजनी

                                                               देखू मै तेरा मुख चन्दन

                                            अरे-अरे उफ़ क्यों मुख मोड़ा

                                           गीत  रचूंगा  बैठो  थोडा I

          श्री आदित्य चतुर्वेदी जी अपनी क्षणिकाओं के लिए कवि समाज में पर्याप्त समादृत हैं I  अपनी इस प्रतिभा का मुजाहिरा उन्होंने संचालन में किया और कुछ मधुर गीत भी सुनाये I उनकी एक क्षणिका ने आसन्न जन्माष्टमी को जीवंत किया-

                                                   वासुदेव कृष्ण सहित जेल से फरार I

                                                   न कोई रक्षक निलम्बित न कोई गिरफ्तार I

                                                   इसीलिये मानते हैं पुलिसवाले

                                                   जन्माष्टमी का त्यौहार I

            अंत में डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव ने सभी कवियों की प्रशंसा की I कवि धर्म को सराहा और कुछ अपने दोहे तथा छंद सुनाये I जैसे –

                                                  चाँद बिछौना हो गया सजा सेज पर तल्प I

                                                   खाट बिछेगी अब कहाँ, मंगल का संकल्प I

            सायं पांच बजे तक निर्बाध चली इस गोष्ठी को परम्परानुसार  अध्यक्षीय भाषण के बाद समाप्त घोषित किया गया I

       इत्यलम I     

                          ई एस -1/436, सीतापुर रोड योजना

                               सेक्टर-ए, अलीगंज, लखनऊ I

                               मो0   9795518586

Views: 1509

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरनीय शरदिंदु जी

आपका शत-शत आभार I आपके मार्ग निर्देश का मात्र अनुसरण करने का प्रयास हुआ है i सादर i

बहुत उम्दा कलाम व सारगर्भित रचनायें हुई हैं

सुजान जी

आपका शताधिक आभार i

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service