आदरणीय साथियो,
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आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक लघुकथाओं का। हम भी हैं कोशिश में..
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ अमूर्त गुणों ईमानदारी और असत्य को मानवीय संबंधों के माध्यम से जीवंत किया है आपने। आज के संदर्भ में यह कथानक सत्य के साथ टूटे लिव-इन रिलेशनशिप के बाद ईमानदारी की असत्य से अरेंज्ड मैरिज, पारिवारिक और सामाजिक दबाव का प्रतीक है। दोनों के बीच आकर्षण जिज्ञासा और प्रयास से शुरू होता है, लेकिन अंततः उभरती असंगति अवश्यम्भावी है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर
सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब। प्रतिक्रिया, समीक्षा और चर्चा से यह गोष्ठी सार्थक हो जाती है और ऊर्जा से भरपूर होती रहती है।
आदरणीय उस्मानी जी
एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है। हार्दिक बधाई। अंत कुछ और प्रभावशाली हो सकता था।
आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।
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