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Mala Jha's Discussions (146)

Discussions Replied To (146) Replies Latest Activity

प्रधान संपादक

"सभी सम्मानीय सदस्यों और साथियों को रजत जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।इस उपलक्ष्य पर सभ…"

Mala Jha replied May 1, 2017 to ओबीओ लाईव लघुकथा गोष्ठी अंक-25 में स्वीकृत लघुकथाएँ

42 Jun 3, 2017
Reply by Tasdiq Ahmed Khan

प्रधान संपादक

"लघुकथा गोष्ठी के सफल आयोजन हेतु हार्दिक बधाई सर जी।और इस संकलन में मेरी लघुकथा को भी…"

Mala Jha replied Feb 1, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 में स्वीकृत लघुकथाएँ

59 Feb 8, 2017
Reply by Manan Kumar singh

"बाँध और दादू की तुलनात्मक प्रक्रिया बहुत ही बेहतरीन ढंग से उभर कर आयी है कथा में।बहु…"

Mala Jha replied Jan 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 (विषय: ढहते क़िले का दर्द)

827 Jan 31, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बेहतरीन कथा के लिए बधाई स्वीकार करें सीमा जी।"

Mala Jha replied Jan 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 (विषय: ढहते क़िले का दर्द)

827 Jan 31, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"तहेदिल से शुक्रिया आ०अर्चना जी।"

Mala Jha replied Jan 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 (विषय: ढहते क़िले का दर्द)

827 Jan 31, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बहुत बहुत धन्यवाद सर जी।"

Mala Jha replied Jan 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 (विषय: ढहते क़िले का दर्द)

827 Jan 31, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"धन्यवाद अनुज।"

Mala Jha replied Jan 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 (विषय: ढहते क़िले का दर्द)

827 Jan 31, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"मार्गदर्शन के लिए तहेदिल से शुक्रिया सर जी।मेरे कथा पर इतना सुंदर विश्लेषण !आभार।साद…"

Mala Jha replied Jan 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 (विषय: ढहते क़िले का दर्द)

827 Jan 31, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"हार्दिक धन्यवाद सीमा जी।"

Mala Jha replied Jan 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 (विषय: ढहते क़िले का दर्द)

827 Jan 31, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया।"

Mala Jha replied Jan 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 (विषय: ढहते क़िले का दर्द)

827 Jan 31, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

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"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
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Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
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शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
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शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
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122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
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