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Sushil Sarna's Discussions (1,412)

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"इसी उमीद में दिल को बनाया आशियाना ,कोई रहे तो सही चाहे बेवफा ही लगे | आदरणीय दिल को…"

Sushil Sarna replied Sep 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-63

645 Sep 26, 2015
Reply by D.K.Nagaich 'Roshan'

"उदास दिल में समायी है तीरगी बेशक"ये खिड़की खोलो ज़रा सुबह की हवा ही लगे" वाह क्या गि…"

Sushil Sarna replied Sep 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-63

645 Sep 26, 2015
Reply by D.K.Nagaich 'Roshan'

"तमाम रात मचलते हुये ही ग़ुज़री, अब“ये खिड़की खोलो ज़रा सुब्ह की हवा ही लगे” बहुत खूब…"

Sushil Sarna replied Sep 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-63

645 Sep 26, 2015
Reply by D.K.Nagaich 'Roshan'

"मैं कृष्ण, राम, महादेव संग खेला हूँमुझे रसूल भी अपने वही सखा ही लगे। वाह आदरणीय मिथि…"

Sushil Sarna replied Sep 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-63

645 Sep 26, 2015
Reply by D.K.Nagaich 'Roshan'

"आदरणीया प्रतिभा जी आपकी रचना को विगत माह की सर्वश्रेष्ठ रचना के रूप में सम्मानित करन…"

Sushil Sarna replied Sep 16, 2015 to रचनाओं को सम्मानित करने की एक अनूठी पहल @ महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना ( Best Creation of the Month )

871 Oct 14, 2023
Reply by rohit mitro

सदस्य टीम प्रबंधन

"आदरणीया डॉ प्राची जी आयोजन की सफलता के लिए हार्दिक बधाई तथा त्वरित संकलन हेतु हार्दि…"

Sushil Sarna replied Sep 13, 2015 to ओबीओ लाइव महोत्सव अंक 59 की समस्त रचनाओं का संकलन

26 Oct 8, 2015
Reply by Dr.Prachi Singh

"वारि दुनिया को पिलाता है समय।खुद मलंगी गीत गाता है समय॥१॥ वाह प्रदत विषय पर बहुत ही…"

Sushil Sarna replied Sep 12, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"जो समय था चाहतों का कशमकश मे बह गयाबस सुलगने का तजुर्बा हाथ मेरे रह गया बहुत सुंदर आ…"

Sushil Sarna replied Sep 12, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"आदरणीय डॉ प्राची सिंह  जी रचना के मर्म भाव पर आपकी सहमतियुक्त आत्मीय प्रतिक्रिया का…"

Sushil Sarna replied Sep 12, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी रचना पर आपकी ऊर्जावान  प्रशंसा  का हार्दिक आभार। "

Sushil Sarna replied Sep 12, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

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२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
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२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
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"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
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Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
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pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
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"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
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