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Sheikh Shahzad Usmani's Discussions (5,037)

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"मेरे इस काव्य लेखन अभ्यास/प्रयास पर त्वरित प्रतिक्रिया करने व असीम प्रोत्साहन प्रदान…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Dec 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

538 Dec 12, 2015
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"रचनाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्य…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Dec 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

538 Dec 12, 2015
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"संदेशप्रद हास्य रचना में विधवा विवाह या विधवा उद्धार की मनोकामना, व्यंग्य/कटाक्ष की…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Dec 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

538 Dec 12, 2015
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"सबसे पहले तो चयनित उम्दा उत्कृष्ट भाव के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया क…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Dec 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

538 Dec 12, 2015
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"सार छंद आधारित/छन्न पकैया रचना मंच पर मुझे दूसरी बार बेहतरीन प्रस्तुति के रूप में मि…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Dec 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

538 Dec 12, 2015
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"//घोर अँधेरा तब न डराता रोज़ एक सवेरा सामने आता एक नयी पहल हो जाती बात अपनी कुछ बन ही…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Dec 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

538 Dec 12, 2015
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"कथनी और करनी में अन्तर स्पष्ट करती हुई प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय प…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Dec 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

538 Dec 12, 2015
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"वाह बहुत खूब... बस , आप पहल कीजिये ऊल जलूल सी सहीं बाक़ी प्रचार तंत्र और मीडिया पर छ…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Dec 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

538 Dec 12, 2015
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"कुछ नया करने/मसाइल से जूझने से लेकर हवा का आसरा मिलने और फिर मंज़िल मिलने की बात कहत…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Dec 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

538 Dec 12, 2015
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"[1] 'पहल और दख़ल' - [कविता] किस की पहल, कैसी पहल ? कभी बनता-संवरता, कभी लुटता-मिटता…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Dec 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

538 Dec 12, 2015
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

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"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
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दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
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मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
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