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"मोहतरम मजाज जी बहुत शानदार ग़ज़ल कही है हर शेर नायाब मोती की तरह है मक्ता तो बहुत ही ब…"

rajesh kumari replied Nov 28, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"क्या सामयिक कटाक्ष करते हुए शेर निकाले हैं आपने आ० अरुण जी मजा आ गया पढ़ के |बहुत बहु…"

rajesh kumari replied Nov 28, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"बन के खुशबू वो फ़िज़ाओं में बिखर जाता हैफूल के हाल पे चल जाते है नश्तर देखो-----कमाल क…"

rajesh kumari replied Nov 28, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"आ० अरुण निगम जी ,आपकी प्रतिक्रिया से दिल बाग़ बाग़ हो गया इतने बड़े शाइरों के शेरों की…"

rajesh kumari replied Nov 28, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"मोहतरम तस्दीक जी,ग़ज़ल पर शिरकत व् सुखनवाजी के लिए तहे दिल से शुक्रिया | अपनी मूल ग़ज़ल…"

rajesh kumari replied Nov 28, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"आ० समर कबीर भाई जी,ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत समीक्षा एवं इस्स्लाह के लिए बेहद शुक्रगुजार हू…"

rajesh kumari replied Nov 28, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"आ०  योगराज  जी, ग़ज़ल पर आपकी दाद पाकर मेरा दिल भी बाग़ बाग़ हो गया मेरा लिखना सार्थक हो…"

rajesh kumari replied Nov 28, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"लीक पर चलते ही जाने से नहीं कुछ होगा लीक से हटके ज़रा तुम कभी चलकर देखो ।---बहुत खूब…"

rajesh kumari replied Nov 28, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"वाह्ह्ह  वाह्ह्ह  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है मोहतरम नफ़ीस जी एक एक शेर मोती की तरह दमकता हुआ…"

rajesh kumari replied Nov 28, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"मोहतरम  तस्दीक जी,लाजबाब  ग़ज़ल कही है ,सभी शेर एक से बढ़कर एक हुए किसी एक की क्या बात…"

rajesh kumari replied Nov 28, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
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दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
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Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
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