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दिगंबर नासवा's Discussions (471)

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"शुक्रिया आपका मोहन जी ..."

दिगंबर नासवा replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"आभार नादिर जी ..."

दिगंबर नासवा replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
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"आभार गज़ल पसंद करने का ..."

दिगंबर नासवा replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
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"आभार वंदना जी ..."

दिगंबर नासवा replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
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"बहुत आभार आपका गज़ल को पसंद करने का ..."

दिगंबर नासवा replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"सरलता और सादगी से लिखा हर शेर ... लाजवाब है पूरी गज़ल अजय जी ..."

दिगंबर नासवा replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
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"खुद से भी मैं अजनबी होता गयावो किसी की जब सगी होने लगीकान सागर ने भरा कुछ इस कदरदूर…"

दिगंबर नासवा replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
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"साथ अक्सर ही रहे दोनों मगर,दुश्मनी फिर क्यों हरी होने लगी .. दुश्मनी साथ रहने से ही…"

दिगंबर नासवा replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"बहुत ही लाजवाब, इस उस्तादाना अंदाज़ का मज़ा ही लिया जा सकता है ... रूह को छूते हैं सभी…"

दिगंबर नासवा replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
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"आदमी तादाद में बढ़ने लगे आदमीयत की कमी होने लगी ... आज के सच को बाखूबी रखा है इस ला…"

दिगंबर नासवा replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

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