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"कमर कसो ऐ हुन्दुस्तानी सीधी खड़ी चढ़ाई है शासन की छाती पे चढ़ कर पाहन करें दलाई है,बहुत…"

Rekha Joshi replied Jun 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

862 Jul 1, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"नायाब जी , एक ज़माना बीत चुका खाया था कोई ज़ख्म मगर lदर्द वो अब भी बढ़ जाता है चलती जब…"

Rekha Joshi replied Jun 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

862 Jul 1, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"प्रवीण जी ,बहुत खूब "

Rekha Joshi replied Jun 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

862 Jul 1, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"तन्हा फिरता है दीवाना शब भर नींद उड़ाई है मासूका ने जबसे जुल्फों से दी हाय रिहाई है…"

Rekha Joshi replied Jun 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

862 Jul 1, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"भोली सूरत वाले ही अक्सर बनाते शौदाई है  देतें है दर्दे दिल सदा और करते बेवफाई है ,उम…"

Rekha Joshi replied Jun 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

862 Jul 1, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"आदरणीय डा अब्दुल अज़ीज़ जी  किसकी जुदाई नागन बनकर डसती रहती है मुझको, किसके बिना सूनी-…"

Rekha Joshi replied Jun 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

862 Jul 1, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"अविनाश जी ,बहुत ही दर्द भरी उम्दा गजल  दिल के टुकडे को भेजा था,जा बेटी आबाद रहे, आज…"

Rekha Joshi replied Jun 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

862 Jul 1, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"दिलबाग जी ,क्या खूब लिखा है   हे प्रभु भर दो इंसां-इंसां के बीच  बढती जो खाई है  प्र…"

Rekha Joshi replied Jun 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

862 Jul 1, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"काश कि तुम आ जाओ इस दम हाथों में साग़र लेकर, मौसम की घनघोर घटा भी मैखाने पर छाई है |…"

Rekha Joshi replied Jun 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

862 Jul 1, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"ठोकर एक जहां भी मारो, मोटी धारा फूट पड़े, धन की गंगा हर अफसर, मंत्री के घर तक आई है।स…"

Rekha Joshi replied Jun 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

862 Jul 1, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
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"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
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"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
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"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
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"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
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