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Chetan Prakash's Discussions (696)

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मुख्य प्रबंधक

"एक गीतः रिमझिम रिमझिम बरसा सावन हरषाई आँगन खुशहाली समा गया धरती जो जल है खेत जुते ह…"

Chetan Prakash replied Jul 14, 2024 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-164

97 Jul 15, 2024
Reply by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

"221 2121 1221 212 अनजान कब समन्दर जो तेरे कहर से हम रहते हैं बचके आज भी मौजों के घर…"

Chetan Prakash replied Jun 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168

245 Jun 29, 2024
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय, संजय तल्ख़ जी मैंने इस पर विचार किया, और पाया, बड़े शायर भी ऐसा करते रहे है।…"

Chetan Prakash replied May 24, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

160 May 25, 2024
Reply by Richa Yadav

"ग़ज़ल 2122 1122 1122 22 ( 112 ) दोस्त जो मुझको मिला साज़ समन्दर निकला महरबाँ मुझ पे…"

Chetan Prakash replied May 24, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

160 May 25, 2024
Reply by Richa Yadav

"नमस्कार, भाई, संजय शुक्ल तल्ख जी, बहुत अच्छी ग़जल कही आपने बस, शेर न0. 9 में, मुझे…"

Chetan Prakash replied May 24, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

160 May 25, 2024
Reply by Richa Yadav

" आदाब, भाई अमित जी,नायाब अशआर से सजी उद्धरणीय ग़ज़ल कही आपने हार्दिक बधाई !"

Chetan Prakash replied May 24, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

160 May 25, 2024
Reply by Richa Yadav

"आ. अमित जी ग़जल पर आपके पुनरागमन एवम् पुनरावलोकन के लिए कोटिशः धन्यवाद ! सुझावानुसा…"

Chetan Prakash replied Apr 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

127 Apr 27, 2024
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो त…"

Chetan Prakash replied Apr 26, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

127 Apr 27, 2024
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर…"

Chetan Prakash replied Apr 26, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

127 Apr 27, 2024
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बार…"

Chetan Prakash replied Apr 26, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

127 Apr 27, 2024
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला बहुत आभारी हूँ आपका आपने बहुत माकूल इस्लाह…"
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Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय विकास जी। मतला, गिरह और मक़्ता तो बहुत ही शानदार हैं। ढेरो दाद और…"
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Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलक राज जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल के हर शेअर को फुर्सत से जांचने परखने एवं सुझाव पेश करने के…"
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Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. जयहिंद रायपुरी जी, अभिवादन, खूबसूरत ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
2 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, सादर अभिवादन  आपने ग़ज़ल की बारीकी से समीक्षा की, बहुत शुक्रिया। मतले में…"
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Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको न/गर में गाँव/ खुला याद/ आ गयामानो स्व/यं का भूला/ पता याद/आ गया। आप शायद स्व का वज़्न 2 ले…"
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Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय। देखता हूँ क्या बेहतर कर सकता हूँ। आपका बहुत-बहुत आभार।"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  श्रद्धेय तिलक राज कपूर साहब, क्षमा करें किन्तु, " मानो स्वयं का भूला पता…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"समॉं शब्द प्रयोग ठीक नहीं है। "
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया  ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया यह शेर पाप का स्थान माने…"
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Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
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Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
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