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Chetan Prakash's Discussions (696)

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"221 1221 1221 122 बदकार हो रहबर तो बचाया नहीं जाता सरकार भी उसकी है तो बख़्शा नहीं…"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"गीत..... देश धर्म ही सबसे पहले हैं माँ-माटी रिश्तों से महके हैं रक्खा सँभाल हमने…"

Chetan Prakash replied Aug 17, 2024 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165

58 Aug 28, 2024
Reply by सालिक गणवीर

"आदाब, भाई नादिर ख़ान,  बहुत सटीक सुंदर ग़ज़ल कही, आपने! कस्ती पर मुझे संदेह है ।ग़ज़…"

Chetan Prakash replied Jul 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169

282 Jul 28, 2024
Reply by Samar kabeer

"नमन,  आदरणीय खूबसूरत ग़ज़ल सादगी के साथ कही आपने! मन प्रसन्न हो गया।  प्रस्तुत गज़ल…"

Chetan Prakash replied Jul 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169

282 Jul 28, 2024
Reply by Samar kabeer

"आ.भाई Zaif ji, आदाब,  अच्छी ग़ज़ल कही, आपने ! आ.अमित जी के सुझाव मुझे बेहतर प्रतीत ह…"

Chetan Prakash replied Jul 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169

282 Jul 28, 2024
Reply by Samar kabeer

"आ. मिथिलेश वामनकर साहब,  आदाब,  ग़ज़ल आपके  मयार के अनुरूप ही थी, फिर भी आ.अमित जी क…"

Chetan Prakash replied Jul 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169

282 Jul 28, 2024
Reply by Samar kabeer

"आ. रिचा जी, आदाब,  अच्छी ग़ज़ल हुई  आपकी ! मुझे आ.अमित जी एवम् अन्य  गुणीजन के सुझा…"

Chetan Prakash replied Jul 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169

282 Jul 28, 2024
Reply by Samar kabeer

"जी, ज़रूर आदरणीय  !"

Chetan Prakash replied Jul 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169

282 Jul 28, 2024
Reply by Samar kabeer

"आ .संजय शुक्ल तल्ख़ साहब नमन,  खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने! सभी शे'र बहुत अच्छे हुए और, म…"

Chetan Prakash replied Jul 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169

282 Jul 28, 2024
Reply by Samar kabeer

"आदाब,  भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर धामी जी, नुक्ते आपकी ग़ज़ल का कमजोर पक्ष रहे! अन्यथा…"

Chetan Prakash replied Jul 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169

282 Jul 28, 2024
Reply by Samar kabeer

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Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. जयहिंद रायपुरी जी, अभिवादन, खूबसूरत ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
7 minutes ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, सादर अभिवादन  आपने ग़ज़ल की बारीकी से समीक्षा की, बहुत शुक्रिया। मतले में…"
12 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको न/गर में गाँव/ खुला याद/ आ गयामानो स्व/यं का भूला/ पता याद/आ गया। आप शायद स्व का वज़्न 2 ले…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय। देखता हूँ क्या बेहतर कर सकता हूँ। आपका बहुत-बहुत आभार।"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  श्रद्धेय तिलक राज कपूर साहब, क्षमा करें किन्तु, " मानो स्वयं का भूला पता…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"समॉं शब्द प्रयोग ठीक नहीं है। "
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया  ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया यह शेर पाप का स्थान माने…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
5 hours ago

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