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Chetan Prakash's Discussions (696)

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"आ.भाई ज़ैफ़ बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई आपको ! गिरह भी बेहतर लगी है! // मैंने कहा…"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"आदाब,  भाई कुमार विश्वकर्मा जी,आपका प्रयास सराहनीय रहा, किन्तु आ. अमित जी सुझाव पर ज…"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"आदाब,  सलिक गणवीर साहब,  आपने तरहीतरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही, बधाई  ! आ.अमित जीजी…"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"आदाब, आ. रिचा जी, तरही मिसरे पर बहुत अच्छा प्रयास हुआ। बधाई स्वीकार करे। वैसे आ. अमि…"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"जी, आदरणीय, आपका हुक़्म सर माथे। मैंनेआपके अवलोकनार्थ दूसरी अप्रकाशित ग़ज़ल प्रस्तुत…"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"आदरणीयभाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' , क्षमा करें, आपके मतले का मिथकीय प्रयोग सही नहीं ह…"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"आदाब,  भाई संजय शुक्ल तल्ख़ साहब अच्छी ग़ज़ल हुई है, तरही मिसरे पर,  बधाई आपक श्री!"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"आ.भाई अमित यूफोनिक जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल से आपने मुशायरे का आग़ाज किया, अत: आप  विशेष र…"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"221 1221 1221 122 आज़ाद कोई शख़्स तो रोका नहीं जाता हक़ तो किसी उस्ताद का मारा नहीं…"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"जी, आ. आपने सही कहा, ग़ज़ल के अधिकाँश शेर उक्त ग़ज़ल का हिस्सा हैं परन्तु ऐसा सुधी म…"

Chetan Prakash replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

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Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. जयहिंद रायपुरी जी, अभिवादन, खूबसूरत ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
7 minutes ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, सादर अभिवादन  आपने ग़ज़ल की बारीकी से समीक्षा की, बहुत शुक्रिया। मतले में…"
12 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको न/गर में गाँव/ खुला याद/ आ गयामानो स्व/यं का भूला/ पता याद/आ गया। आप शायद स्व का वज़्न 2 ले…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय। देखता हूँ क्या बेहतर कर सकता हूँ। आपका बहुत-बहुत आभार।"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  श्रद्धेय तिलक राज कपूर साहब, क्षमा करें किन्तु, " मानो स्वयं का भूला पता…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"समॉं शब्द प्रयोग ठीक नहीं है। "
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया  ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया यह शेर पाप का स्थान माने…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
5 hours ago

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