For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mukesh Kumar Saxena's Discussions (22)

Discussions Replied To (12) Replies Latest Activity

"वो नज़रों से नज़रें ना मिलाएं तो क्या करें । करके नज़रअंदाज़ वो जाएं तो क्या करें । हमस…"

Mukesh Kumar Saxena replied Feb 24, 2018 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-92

649 Feb 24, 2018
Reply by Balram Dhakar

"गुनहगार हूँ ,मैं सज़ा चाहता हूँ । मै राज़ी हूँ तेरी रज़ा चाहता हूँ । तू एक बार मुझको गल…"

Mukesh Kumar Saxena replied May 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"गुनहगार हूँ ,मैं सज़ा चाहता हूँ । मै राज़ी हूँ तेरी रज़ा चाहता ..."

Mukesh Kumar Saxena replied May 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"AAP SHAM PRITSHAT THEEK KAH RAHE HAI MAGAR YEH NIYAMAWALI HI TO KAVITA KA NIRMAN KAR…"

Mukesh Kumar Saxena replied May 28, 2013 to कविता के भाव पर व्याकरण की तलवार क्यों

79 Sep 4, 2013
Reply by Dr Ashutosh Mishra

"इतने बड़े कवियों के बीच में लिखना कोई आसन काम है क्या मगर फिर भी हिम्मत जुटा कर जो ल…"

Mukesh Kumar Saxena replied Jun 10, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक २० ( Now closed with 1007 Replies )

1007 Jun 10, 2012
Reply by धर्मेन्द्र शर्मा

"श्री मुकेश कुमार सक्सेना जी की रचना रदीफ़ दुरुस्त न होने की वजह से ओबीओ प्रबंधन द्वा…"

Mukesh Kumar Saxena replied Apr 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २२

814 May 1, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"स्वप्न में न लिप्त हो तू । बात कर न स्वार्थ की । हे मनुज तू थाम के चल, उँगलियाँ यथार…"

Mukesh Kumar Saxena replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"एक दिन सपने में मिले मुझे कृष्ण कन्हैया । मैंने हाथ जोड़ कर कहा भैया । तुमने अपने का…"

Mukesh Kumar Saxena replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"बोले मोसे नहि रहू मै जब  सखियन हमजोली में . देख अकेल्ली  मार झपट्टा  रंग लगाबे चोली…"

Mukesh Kumar Saxena replied Mar 7, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १७ (Now Closed With 1737 Replies)

1737 Mar 8, 2012
Reply by Saurabh Pandey

"खा लिया कर गम को अपने आंसुओं को पी लिया कर आज तेरे पेट में रोटी नहीं तो क्या हुआ .…"

Mukesh Kumar Saxena replied Feb 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २०(Now Closed with 906 Replies)

906 Feb 29, 2012
Reply by Rana Pratap Singh

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service