For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डॉ नीलम महेंद्र कृत “राष्ट्रवाद एक विवाद” में राष्ट्रवाद की सीमाओं का विश्लेषण


डॉ नीलम महेंद्र कृत राष्ट्रवाद एक विवाद निश्चित ही एक महत्वपूर्ण कृति है कम से कम पठनीय एवं विचारणीय तो अवश्य ही है। इस चिंतन पटक कृति के आवरण पर पुस्तक के शीर्षक के साथ ही उसकी मूल विषय वस्तु को स्पष्ट करने वाला वाक्य राष्ट्रवाद के षड़यंत्रों और रहस्यों से पर्दा उठाती एक उत्कृष्ट रचना भी अंकित है।उसे देखकर, सामान्य पाठक मुख्यतः स्वयं को राष्ट्रवादी कहने वाला राष्ट्र सेवी प्रथम दृष्ट्रया चोंक सकता है। शायद किंचित आहत भी किन्तु पुस्तक के दो चार पृष्ठ उलटते पलटते उसके सामने राष्ट्रवाद की पश्चिमी धारणा तथा उससे जुड़ी नकारात्मकताएँ स्पष्ट होने लगती हैं।और फिर उसका इस ओर ध्यान आकृष्ट होने लगता है कि वाद कैसा भी हो उसके संग विवाद तो जुड़ता ही जुड़ता है। उससे पक्ष विपक्ष तो उत्पन्न होते ही हैं और जो अपने संकीर्ण स्वार्थों के लिए मूल शब्द की अपने अपने तर्कों कुतर्कों के सहारे व्याख्या करते, बहस कर उठते हैं।
इस पुस्तक के लेखन के पीछे विदुषी लेखिका का मूल अभिप्राय यही है कि जिस प्रकार धर्म निरपेक्षता के स्थान पर सर्वधर्म समभाव या सर्वपंथ समभाव अधिक उपयुक्त है उसी प्रकार राष्ट्रवाद के स्थान पर राष्ट्र धर्म, राष्ट्र भक्ति या देश प्रेम जैसे शब्द अधिक विधायी एवं सार्थक हैं। राष्ट्रवाद एक विवाद में इसी विचार बिंदु का गंभीर विवेचन है। उससे अवगत होना प्रबुद्ध वर्ग और जन सामान्य सबके लिए ही आवश्यक है। क्योंकि उसका हम सभी से सीधा सीधा संबंध है। विचार एवं भावना दोनों ही स्तरों पर इस दृष्टि से भी डॉ नीलम की यह कृति पठनीय है। समीक्ष्य पुस्तक में राष्ट्रवाद, राज्य ,देश, भारत, भारतीय आदि प्रत्ययों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करने का प्रयास हुआ है। राष्ट्र की वैदिक अवधारणा को भी विवेचित किया गया है।और इस हेतु लेखिका ने प्राचीन वांग्मय को भी खंगाला है। और इस शोध उपक्रम से प्रकट हुआ कि राष्ट्र का प्रयोग ऋग्वेद के मंत्रो में भी है। एक मंत्र जो इस पुस्तक में उदृत है इस प्रकार है।

ध्रुवते राजा वरणो, ध्रुव देवो बृहस्पति:
ध्रुवं त इन्द्रश्चाग्निश्च राष्ट्रं धारयतां ध्रुवम्"

अर्थात वरूण राष्ट्र को अविचल करें, बृहस्पति राष्ट्र को स्थायित्व प्रदान करें, इंद्र राष्ट्र को सुदृढ़ करें और अग्नि राष्ट्र को निश्चल रूप से धारण करें।
इसी क्रम में वाल्मीकि रामायण का एक श्लोक उदृत हुआ है जो भगवान राम के उत्कृष्ट देश प्रेम को प्रकट करता है। इन उद्दरणों से राष्ट्र के अत्यंत उद्दात एवं व्यापक स्वरूप का प्रतिपादन हुआ है। इस विवरण से ऐसे बुद्धिजीवीयोंकी वह धारणा भी निर्मूल होगी जो अंगरेजो को भारतीय राष्ट्र के निर्माण का जनक मानते हैं।
राष्ट्र विषयक यह समूचा विवरण पाठक वर्ग को एक नए गौरव भाव से परिपूर्ण करेगा। इस पृष्ठभूमि में लेखिका ने राष्ट्र के साथ "वाद" जुड़ जाने से इस शब्द के मनमाने अर्थों के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की है।

 उनके अनुसार एक ओर तो वे लोग हैं जो स्वयं को राष्ट्रवादी मानते हैं तथा ' भारत माता की जय' बोलना अपनी मातृभूमि के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना अपना कर्तव्य ही नही अपना अधिकार भी समझते हैं, और दूसरी ओर वे संकीर्णता वादी लोग हैं जो ' भारत माता की जय' नही बोलना अपना संविधानिक अधिकार बताने के साथ ही स्वयं को राष्ट्रवादी घोषित करते हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखकर लेखिका का मानना है कि अब राष्ट्रवाद के स्थान पर "राष्ट्रभक्ति","राष्ट्रप्रेम" या "देशभक्ति" अथवा "राष्ट्रधर्म" का प्रयोग कहीं अधिक उपयुक्त है क्योंकि तब ऐसा शायद ही कोई स्वयं को राष्ट्रभक्त कहे और आतंकवादियों का समर्थन भी करे या भारत माता की जय नही बोलने को अपना संविधानिक अधिकार भी घोषित करे। लेखिका का यह विचार समाचीन और सुसंगत है।
सारांशतः कहा जा सकता है कि इस विचारपूर्ण कृति के माध्यम से सुचर्चित लेखिका डॉ नीलम महेंद्र ने राजनैतिक चिंतन के क्षेत्र में अपना विशिष्ट एवं विनम्र योगदान किया है। उनका प्रयास निश्चित ही स्वागतेय है और आशा की जा सकती है कि उससे "राष्ट्रवाद" को लेकर कुछ और अधिक सार्थक विमर्श आरम्भ होगा।

श्री जगदीश तोमर (वरिष्ठ साहित्यकार प्रेमचन्द सृजनपीठ के पूर्व निदेशक, राजा वीरसिंह देव राष्ट्रीय पुरुस्कार विजेता, पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान )
कृति: राष्ट्रवाद एक विवाद
कृतिकार: डॉ नीलम महेंद्र
प्रकाशक : अर्चना प्रकाशन
मूल्य: 80₹

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 483

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर "
5 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई सुरेंद्र जी अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. रिचा जी, अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
16 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्श के लिए आभार। कुछ बदलाव…"
16 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। गुणीजनो की सलाह से इसमें निखार आ गया है । हार्दीक…"
20 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय दयाराम जी  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों ने अच्छी इस्लाह…"
34 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय जयहिंद जी  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
36 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय सुरेंद्र जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया अपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों ने…"
38 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
39 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय सुरेंद्र जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
41 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service