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गुज़री है मेरे दिल पर क्या क्या अब हिज्र का आलम पूछ रहे ।।
मालूम तुम्हें जब गम है मेरा क्यूँ आंखों का पुरनम पूछ रहे ।।1

इक आग लगी है जब दिल में चहरे पे अजब सी बेचैनी ।
इकरारे मुहब्बत क्या होगी ये बात वो पैहम पूछ रहे ।।2

कुछ फ़र्ज़ अता कर दे जानां कुछ खास सवालातों पर अब ।
होठों पे तबस्सुम साथ लिए जो वस्ल का आगम पूछ रहे ।।3

हालात मुनासिब कौन कहे जलती है जमीं जलता भी है दिल।
बादल से परिंदे रह रह कर बरसात का मौसम पूछ रहे ।।4

हम यूँ ही तरक्क़ी करते हैं महफूज़ रहेगा मुल्क यहाँ ।।
कुछ खास तो है दुनिया वाले इस देश का परचम पूछ रहे ।।5

हर वक्त तबाही का मंजर ख़ामोश रहेगा रब कब तक ।।
कुछ रहम करे उन पर भी ख़ुदा जो राज ए बरहम पूछ रहे ।।6

अब फ़िक्र गुनाहों की उनको इक रोज़ कयामत आएगी ।
शैतां भी खता से बचने को अल्लाह का ज़मज़म पूछ रहे ।।7

बेदर्द जहां पर अफसर है इंसाफ का मंजर क्या होगा ।
अब लोग सितमगर से ही तो हर घाव का मरहम पूछ रहे ।।8

इस बात पे दौलत वालों की बस्ती में है बरपा हंगामा ।
फुटपाथ पे रहने वाले क्यूँ इक शाम का मक़दम पूछ रहे ।।9

चाहत की अदाएं क्या होंगी दीदार करेगी क्या दुनिया ।।
ऐ चाँद यहाँ तुमसे अंजुम उस रात का संगम पूछ रहे ।।10

खुशियों का तलातुम देख के अब हैरां हैं चमन के लोग यहाँ ।
नादां हैं बहुत कश्ती वाले दरिया से जो उद्गम पूछ रहे ।।11

--डॉ नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on May 8, 2019 at 10:57am

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।

बेदर्द जहां पर अफसर है इंसाफ का मंजर क्या होगा ।
अब लोग सितमगर से ही तो हर घाव का मरहम पूछ रहे ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on May 4, 2019 at 1:02pm

आ0 हरिओम श्रीवास्तव जी हार्दिक आभार

Comment by Hariom Shrivastava on May 4, 2019 at 11:05am

वाह,वाहहह,बड़ी बह्र पर लाजवाब ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी।

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