For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजनीति के दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

नेताओं की मौज है, राजनीति के गाँव
छाले लेकर घूमती, जनता दोनों पाँव।१।


सत्ता  बाहर  सब  करें, यूँ  तो  हाहाकार
पर मनमानी नित करें, बनने पर सरकार।२।


जन की चिंता कब रही, धन की चिंता छोड़
कौन  मचाये  लूट  बढ़, केवल  इतनी  होड़।३।


कत्ल,डैकेती,अपहरण, करके लोग हजार
सिखा रहे हैं  देश  को, हो  कैसा व्यवहार।४।


साठ बरस पहले जहाँ, मुद्दा रहा विकास
आज वही संसद करे, बेमतलब बकवास।५।


राजनीति में आ बसे, अब तो खूब लफंग
जैसे चन्दन से लिपट, जीवित रहें भुजंग।६।


पहन मुखौटा बैठना, खूब सियासत धाम
जहाँ आम के साथ हैं, गुठली के भी दाम।७।


राजनीति में सब हुये, अब कुर्सी शौकीन
सुख में हैं नेता सभी, बस जनता गमगीन।८।


खिड़की  कायर  हो  गयी, गूँगे - बहरे द्वार
व्यर्थ यहाँ अब चीखना, राजनीति का सार।९।


लाखों  नेता  भक्त हैं, देश  भक्त ना एक
कर्महीन सब कर्म से,भावों का अतिरेक।१०।


मौलिक/अप्रकाशित

Views: 455

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on October 22, 2018 at 11:42am

हार्दिक बधाई आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी।बेहतरीन दोहे।

राजनीति में सब हुये, अब कुर्सी शौकीन
सुख में हैं नेता सभी, बस जनता गमगीन।८।

Comment by Samar kabeer on October 18, 2018 at 10:15pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,अच्छे दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

दूसरे दोहे में तुकान्तता सहीह नहीं है,देखियेगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 18, 2018 at 1:20pm

आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 18, 2018 at 12:11pm

खिड़की कायर हो गयी, गूँगे - बहरे द्वार
व्यर्थ यहाँ अब चीखना, राजनीति का सार...
वाह सुन्दर अति सुन्दर और समर्थ दोहे आदरणीय..उपर्लिखित दोहा तो कमाल है..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
8 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
10 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
12 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
38 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service