For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साँझा चूल्हा - लघुकथा –

साँझा चूल्हा - लघुकथा –

"रज्जो, यह तेरा देवर रोज रोज  हमारी रसोई में थाली लिये बैठा क्यों दिखता है"?

 "क्योंजी, क्या वह आपका भाई नहीं है "?

"मेरी बात का सीधा जवाब दे? बात को घुमा मत"?

"आप भी ना,  दो रोटी खा जाता है और क्या करते हैं रसोई में"?

 "वह तो मुझे भी पता है। पर हमारी रसोई में क्यों"?

"उसके दो रोटी खाने से हम कंगाल हो जायेंगे क्या"?

"बात रोटी की नहीं है , बात उसूल की है"?

 "वह कहता है कि उसकी घरवाली के हाथ में स्वाद नहीं है"?

"घर के बँटवारे की ज़िद किस ने की थी? चूल्हा अलग किसने किया था?  दोनों मियाँ बीबी ने बँटवारे के लिये नाक में दम कर रखा था”?

"वह गलती मान रहा है कि घरवाली के बहकावे में आ गया था"?

"उसने चूल्हा अलग किया था। अब अपने चूल्हे में जो मर्जी हो पकाये खाये"।

"आज तो वह रोने लगा था। कहता है कि भाभी  चूल्हा साँझा कर लो"?

"ना रज्जो, भूल से भी हाँ मत कर देना। यह कोई गुड्डे गुड़िया का खेल नहीं है कि सुबह लड़ लिये और शाम को फिर एक"।

"आप भी ज़िद करके बैठ जाते हो। आपसे माफ़ी भी माँगने को तैयार है"।

"रज्जो, उसे साफ बोल दे कि अपनी घर गृहस्थी संभालो। हमेशा तो माँ बाप भी नहीं खिलाते। कभी कभार सब चलता है। ज़िंदगी तो अपने ही दम पर जीनी होती है"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 955

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on July 30, 2018 at 12:18pm

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 29, 2018 at 2:10pm

लघुकथा तो बड़ी अच्छी है आदरणीय...बटवारे का दंश वाकई चुभन देता ही रहता है...

Comment by TEJ VEER SINGH on July 26, 2018 at 8:37pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष जी। हम लोग तो बचपन एक सामूहिक परिवार में ही बिताये हैं इसलिये सम्मिलित परिवार का महत्व समझते हैं लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि जिस चीज के लाभ हैं उसके ही कुछ नुकसान भी होते हैं।यह भी हमने व्यक्तिगत रूप से भोगा है।सादर।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 26, 2018 at 4:31pm

आदरणीय तेजवीर जी इस उम्दा लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई ...लेकिन घर में एक चूल्हा जले तो उसका आनंद कुछ और ही है लेकिन आपने जो लिखा है वह भी एक सच्चाई है सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on July 25, 2018 at 12:25pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 25, 2018 at 12:24pm

हार्दिक आभार आदरणीय अपर्णा शर्मा जी।आपने लघुकथा पर सुंदर विवेचनात्मक टिप्पणी की।

Comment by Samar kabeer on July 25, 2018 at 11:31am

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Arpana Sharma on July 24, 2018 at 10:51pm

बहुत ही उत्तम लघुकथा रची है आपने। और पंच लाइन भी सटीक प्रहार करती है। रिश्तों और संयुक्त परिवार का मोल भी समझाती है। आजकल अक्सर देखने में आता है कि रिश्ते और मेल-मिलान भी निहित स्वार्थों की पूर्ति तक सीमित होता जा रहा है। साँझे चूल्हे की आत्मीय भावना को सुंदर ढंग  से प्रस्तुत किया है। बधाई।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 24, 2018 at 9:21pm

हार्दिक आभार आदरणीय बबिता गुप्ता जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 24, 2018 at 9:19pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service