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आया सावन 

बोले मयूरा सुनो 

उसकी बोली |

२ 

गरज गए

बादल सावन के 

नाचो औ  गाओ |

३ 

गीत कोई तो 

सुना दो सावन के 

मनवा डोले  |

४ 

मधुर गीत 

गाती जब  सखियाँ

पिया पुकारें |

५ 

हरित धरा 

कहती कुछ कुछ 

सुनो तो सही |

चमके जब 

बिजली डर लागे 

ढूँढे पिया को |

कागज़ नाव 

 इत उत तैरती 

बच्चे बनेंगे | 

८ 

यह सावन 

अलग तो नहीं है 

लगता नया |

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 16, 2017 at 3:50pm

सादर धन्यवाद आदरणीय ओम प्रकाश जी |

Comment by Omprakash Kshatriya on July 22, 2017 at 8:01pm

आदरणीय कल्पना भट्ट जी बहुत सुंदर हाइकू लिखे हैं आप ने . बधाई 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 7:26pm

धन्यवाद् आदरणीय विजय निकोरे जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 7:25pm

धन्यवाद आदरणीय गिरिराज सर जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 7:25pm

धन्यवाद् आदरणीय नरेन्द्रसिंह जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 7:25pm

धन्यवाद् आदरणीय रवि शुक्ल जी |

Comment by vijay nikore on July 21, 2017 at 11:24am

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई, आदरणीया कल्पना जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 20, 2017 at 8:28pm

आदरणीया कल्पना जी , बढिया हाइकु रचे हैं .. हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by narendrasinh chauhan on July 19, 2017 at 3:29pm

आदरणीया,सुंदर हाइकू की प्रस्‍तुतति

Comment by Ravi Shukla on July 19, 2017 at 12:52pm

आदरणीया कल्‍पना जी सुंदर हाइकू की प्रस्‍तुतति हुई है बधाई स्‍वीकार करें

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