For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी मरते को जीने का वहाँ अधिकार हो जाए(तरही गजल)

1222 1222 1222 1222
किसी मरते को जीने का वहाँ अधिकार हो जाए
अगर सहरा में पानी का ज़रा दीदार हो जाए

ये गिरना भी सबक कोई सँभलने के लिए होगा
मिलेगी कामयाबी हौंसला हर बार हो जाए

वफ़ा करके नहीं मिलती वफ़ा सबको यहाँ यारो
किसी की जीत उल्फत में,किसी की हार जाए

कि खुलकर आज कह डालो दबी है बात जो दिल में
*बुरा क्या है हकीकत का अगर इज़हार हो जाए*

खमोशी को हमेशा ही समझते हो क्यों कमजोरी?
यही गर्दिश में इंसाँ का बड़ा औज़ार हो जाए

सितमगर सोच कर करना सितम तू और लोगों पर
यही तेरी ख़ता उनका कहीं हथियार हो जाए

मौलिक अप्रकाशित

Views: 821

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 26, 2017 at 8:43pm
आदरणीय गिरिराज सर हौंसलाफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया,सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 26, 2017 at 8:07pm
आदरणीय अनुराग वशिष्ठ जी उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 26, 2017 at 8:06pm
आदरणीय अनुराग वशिष्ठ जी उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 26, 2017 at 8:04pm
आदरणीय नरेंद्रसिंह चौहान जी उत्साहवर्धन के लिए तहेदिल शुक्रिया,सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 26, 2017 at 8:03pm
आदरणीय गुरप्रीत जी सादर हार्दिक आभार,सादर नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 26, 2017 at 8:03pm
आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी बहुत-बहुत आभार प्रोत्साहित करने के लिए!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 26, 2017 at 8:02pm
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी सादर नमन,प्रोत्साहन व मार्गदर्शन के लिए तहे दिल शुक्रिया
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 26, 2017 at 8:01pm
सआदरणीय समर कबीर जी,सादर नमन हौंसला अफ़जाई के लिए शुक्रिया,आप सब सुधिजनों की इस्लाह अनुसार परिमार्जन करने की कोशिश में हूँ।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 25, 2017 at 7:06pm
आदरणीय नीलेश नूर जी,सादर नमन!आप द्वारा दिए प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन के लिए आभारी हूँ।मतले को पुनः कहने का प्रयास जारी है।आपके मार्गदर्शन का सदैव आकांकांक्षी हूँ।प्रयास रहेगा कि आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतर सकूँ।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 25, 2017 at 7:06pm
आदरणीय नीलेश नूर जी,सादर नमन!आप द्वारा दिए प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन के लिए आभारी हूँ।मतले को पुनः कहने का प्रयास जारी है।आपके मार्गदर्शन का सदैव आकांकांक्षी हूँ।प्रयास रहेगा कि आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतर सकूँ।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service