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देखो देखो री सखी
किया कैसा है श्रृंगार
बसन्ती हवा है चली
ऋतु राजा है तैयार ।

मीठी कोयल की बोली
झूली अम्बुवा की डार ।

ऋतु राजा है बोला
पिया करलो थोडा प्यार ।

गाओ मन भावन ये राग
हो ये बसन्त बहार ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 12, 2017 at 8:59pm
Dhanywad aadraniya Dr. Ashutosh Mishra ji .
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 10, 2017 at 9:34am

आदरणीया कल्पना जी इस बसंत के मनभावन गीत पर हार्दिक शुभकामनायें सादर 

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