For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ !तो आज तुम्हारा पहला श्राद्ध भी हो गया !

तुम्हारी तरह

आज तुम्हारी बहू भी सुबह अँधेरे उठ जायेगी


ठीक तुम्हारी तरह

साफ़ सुथरे चौके को फिर से बुहारेगी 

नहा धो कर साफ़ अनछूई एक्वस्त्रा हो
तुलसी को अनछेड़ जल चढ़ायेगी

ठीक तुम्हारी तरह 
आज फूल द्रूब लाने को भी बेटी को नहीं कहेगी
ठाकुर जी के बर्तन भी स्वय मलेगी
ज्योती को रगड़ -रगड़ जोत सा चमकायेगी
महकते घी से लबलाबायेगी
घर के बने शुद्ध घी शक्कर में लिपटा
चिड़िया चींटी गैया को हाथ से खिलायेगी

तुम्हारी तरह 
ठीक से चुने चावल दाल को पुन पुन चुनेगी
तुम्हारी मनपसन्द कांसे की देगची में धरेगी


तुम्हारी तरह

देर तक धीमे धीमे पकायेगी

नए भात की महक से भर भर जायेगा घर आँगन
सारा खाना थाली में सजायेगी
कोइ देव छूट न जाएँ

ठीक तुम्हारी तरह

एक एक कर सारे देवों को भोग लगाएगी


ठीक तुम्हारी तरह

गाँव के हर घर का न्योता करेगी 

आज कागा भी श्वान भी
आगत भी मेहमान भी
जो जो भी दिखेगा उसे मनुहार से बुलायेगी
सामर्थ से बढ़ कर दक्षिणा लुटायेगी
तुम्हारे बेटे को माँ ,वो तुम्हारी तरह ही देर तक नहीं जगाएगी
जब सब जप तप दान दक्षिणा
लेने देने से अकेली निबट लेगी
तब तुम्हारे  बेटे को उठायेगी
'उठ जाओ जी! अब ग्रास बेटे के ही हाथ से लगेगा "
धीरे से कहेगी और चुप चाप आँखे पोछती जायेगी


पंडित जिमा के पूछेगी चुपचाप
“कोई कसर तो न बची,

बची तो ज़रूर कहें
हमें तो वो छोड़ गये
पर स्वंय जहाँ रहें बस सुख से रहें”..

माँ !तो आज तुम्हारा पहला श्राद्ध भी हो गया !

मौलिक  व अप्रकाशित

Views: 367

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2016 at 9:42pm

बहुत  मार्मिक ....बहुत खूब बहुत बहुत बधाई आपको इस सुंदर प्रस्तुति के लिए अमिता तिवारी जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service