For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1- नाम वरों में छुप रहे

नामवरों में छुप रहे , सारे गलती बाज

सच के आगे किस तरह , मची हुई है खाज

मची हुई है खाज , खून उभरा है तन में

लेकिन कोई लाज , कहाँ कब दिखती मन में

सत्य गिनेगा नाम , कभी तो जानवरों में

आज छिपालो झूठ, किसी का नामवरों में

****************

2- गिरगिट मानव देख

धोती में अपनी कभी , नही देखते दाग

और लगाते हैं सदा , अन्य वसन में आग

अन्य वसन में आग , लगाते हैं वो सारे

जिनको डर है सत्य,  कहीं ना उनको मारे

गिरगिट मानव देख , सदा सच्चाई रोती

चलो दिखायें दाग , निकालें उनकी धोती

***************************************

गिरिराज भंडारी

Views: 821

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 28, 2016 at 1:43pm

वाह आदरणीय गिरिराज भाई साहिब दोनों ही कुण्डलिया हास्य समावेश के साथ सन्देश का सम्प्रेषण भी कर रही हैं। इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय। दूसरी कुण्डलिया में मैं आदरणीय रामबली गुप्ता जी सहमत हूँ। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2016 at 12:51pm

वाह वाह बढ़िया तंज कसा है दोनों कुंडलियों में आद० गिरिराज जी 

दोनों कुण्डलियाँ शिल्प के हिसाब से मजबूत हैं तथा शानदार हैं 

दूसरी कुंडलिया में अंतिम चरण में ये थोडा सा बदलाव करेंगे तो शायद कहन के हिसाब से बेहतर होगा 

चल दिखलायें दाग---चलो दिखाएं  दाग

आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय 

Comment by रामबली गुप्ता on June 28, 2016 at 12:51pm
कुण्डलिया जिस शब्द या शब्द समूह से शुरू होता है उसी शब्द या शब्द समूह पर समाप्त होता है। आपकी दूसरी कुण्डलिया रचना में शुरू का शब्द *अपनी* या शब्द समूह *अपनी धोती* है जबकि अंत में उनकी धोती रखा है आपने। या तो आप अंत में सिर्फ *अपनी* रखें या *अपनी धोती* रखें तब कुण्डलिया का शिल्प पूर्ण होगा। यह एक सुझाव मात्र है हो सकता है मैं गलत होवूं अतः अन्य सुधीजन भी इस पर अपने विचार प्रस्तुत करें।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2016 at 12:38pm

आदरणीय राम बली भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।

आदरणीय , कमियाँ रह जाने की पूरी सम्भावना है , मैने अभी अभी कुँडलियों पर अभ्यास शुरू किया , खुल के अगर कुछ कहें तो सुधार की कोशिश करूँगा । आभार आपका ।

Comment by रामबली गुप्ता on June 28, 2016 at 12:18pm
द्वितीय कुण्डलिया के अंत में मुझे कुछ संशय है। सुधीजन विचारें
Comment by रामबली गुप्ता on June 28, 2016 at 12:16pm
बहुत सुंदर कुण्डलियाँ हुई हैं आदरणीय। हृदय से बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
2 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
4 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
6 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
7 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
32 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service