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देखो कानून की परिभाषा कैसे बदल जाती है,

देखो कानून की परिभाषा कैसे बदल जाती है,

नेताओं को बेल और गरीब को जेल हो जाती है ।

यहाँ धनवानों का  सारा ऋण माफ हो जाता है,

किसान की ज़िंदगी ऋण में ही साफ हो जाती है ।

किसी बात पर यूं ही कभी इतबार मत करना,

घट जाए कोई घटना तो तकरार मत करना ।

विश्वास और धोखा एक ही सिक्के दो पहलू है,

एक जीने का मकसद और दूसरा छीन लेता है ।

चंदा और रोशनी एक दूजे के संग में घूम रहे ,

पर दिन में  एक दूसरे के विरुद्ध जंग लड़ रहे ।

गरीब का आरक्षण कुछ के आँखों में चुभता है,

धर्म की आड़ में बैठ गरीबों का खून चूसता है ।

झूठ बोल लोगों को स्वर्ग का टिकट बाँटता है,

खुद लोगों को ठगकर स्वर्ग का मजा उड़ाता है ।

अपने को सर्वश्रेष्ठ और दूसरे को नीचा कहता है,

एक आविष्कार की सफलता के लिए तरसता है ।

आज वेदों की महिमा सारे संसार को सुनाता है,

शांति सद्भाव दया के लिए बुद्ध का नाम जपता है । 

हर क्षेत्र में खुद का आरक्षण दिखाई नहीं देता,

देश की सम्पदा पर अधिकार मालूम नहीं देता ।

छोटी सरकारी नौकरी में आरक्षण बात करता,

संसद, कोर्ट, मंदिर की  कभी बात नहीं करता ।

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Ram Ashery on January 24, 2016 at 3:21pm
आपको मेरा आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना को लोगों तक पहुँचने के लिए

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