For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भागते हुए किसी तरह सबको चढ़ाकर वो ट्रेन में घुसे और अपनी फूली हुई साँसों को क़ाबू में करने की चेष्टा करने लगे। पत्नी और बच्चे उस भीड़ में घुस गए थे और बैठने की जगह तलाश रहे थे। गर्मी के दिन , छुटियों का समय , आरक्षण मिलना लगभग नामुमकिन था इसलिए आज ऐसी यात्रा करनी पड़ रही थी उनको।
सांसें सामान्य हुईं तो अजीब सी दुर्गन्ध महसूस होने लगी , लोगों के पसीने और सांसों की गंध। अब उनको बेचैनी महसूस होने लगी , फिर ध्यान आया कि परिवार को जगह मिली की नहीं, और थोड़ा अंदर घुसे। पत्नी और बच्चे किसी तरह सीट से टिक कर खड़े होने का प्रयत्न कर रहे थे और उनके चेहरे उनकी परेशानियों को व्यक्त कर रहे थे। बहुत प्रयत्न किया उन्होंने कि लोगों से कुछ फ़ासला रहे और उस दुर्गन्ध से राहत , लेकिन असफल रहे |
कुछ समय बीत चुका था ट्रेन चलते और अभी ६ घंटे का सफर बाक़ी था। वो सोच में डूबे थे कि कैसे कटेगा सफर पत्नी और बच्चों का इस हालत में तभी सीट पर बैठे कुछ लोगों ने उठ कर उनके परिवार को बैठने की जगह दे दी। अब वो लोग उनसे सट कर खड़े थे, उसी तरह पसीने की गंध से लिपटे हुए। उनकी साँसों से अब भी अजीब सी गंध आ रही थी लेकिन अब वो गंध उनको खटक नहीं रही थी।
पत्नी और बच्चे अब सीट पर बैठे हुए थे, ट्रेन अपनी रफ़्तार में चल रही थी, और वो भी अपने बगल के यात्री के ऊपर टिक कर खड़े खड़े झपकी ले रहे थे।
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 27, 2015 at 11:08am

वाह! वाह! आज के समय रेलयात्रा के सच को बहुत ही शानदार तरीके से प्रस्तुत किया है! दिल से हार्दिक बधाई भाई विनय कुमार जी!

Comment by Shubhranshu Pandey on May 27, 2015 at 9:55am

आदरणीय विनय जी, 

यात्राओं में इस तरह के अनुभव और सहयोग का होना या मिलना अब कम हो गया है. इन जहर खुरानों ने इस सम्बन्ध को छिन्न भिन्न कर दिया है. 

सुन्दर कथा.

Comment by विनय कुमार on May 26, 2015 at 6:23pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया सुनंदा झा जी |

Comment by विनय कुमार on May 26, 2015 at 6:23pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय रवि प्रभाकर जी | आपकी शाबाशी मिलना बड़ी बात है..

Comment by sunanda jha on May 26, 2015 at 5:54pm
हुत अच्छी लघु कथा विनय जी !!!
गंध तो वही थी बस महसूस करने का नजरिया बदल गया था ।
Comment by Ravi Prabhakar on May 26, 2015 at 3:04pm

आदरणीय विनय जी आपकी प्रखर दृष्‍िट का मैं कायल हूं । एक अति साधारण घटना में से आपने बहुत सशक्‍त लघुकथा ढूंढ निकाली । बहुत बहुत शुभकामनाएं आदरणीय ।

Comment by विनय कुमार on May 26, 2015 at 2:35pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गणेश जी बागी जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 26, 2015 at 1:55pm

सामान्य श्रेणी की बोगी में यह दृश्य आम है, हममे से कई लोग भुक्तभोगी भी होंगे. एक सामान्य सी घटना को आपने एक सुन्दर कथा के रूप में प्रस्तुत कर दिया है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय विनय कुमार जी.

Comment by विनय कुमार on May 25, 2015 at 10:21pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय केवल प्रसाद जी..

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 25, 2015 at 10:02pm

बेहतरीन कथा. वास्तव में ऐसा कई बार होता है.  हार्दिक बधाई स्वीकारे, आ0 विनय भाईजी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
7 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
11 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
12 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
13 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
13 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
15 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
18 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
31 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
55 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
59 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service