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ग़ज़ल-नूर कलंदर सी मस्ती में रहता है


22/22/22/22/22/2 (सभी कॉम्बिनेशन्स)
दिल के ओहदेदारों का अब क्या करिये.
बचपन के उन यारों का अब क्या करिये.
.
तुम कब तुम थे- मैं कब मैं, वो कहानी थी
उन मुर्दा क़िरदारों का अब क्या करिये. 

.
राजमहल था जिस्म, ये दिल था शाह कभी 
इन वीरां दरबारों का अब क्या करिये.  
.

मान गए वो आख़िर में जब बात अपनी
पहले के इन्कारों का अब क्या करिये.
.
उसके क़दमों पे धर आए सर ही जब
फिर महँगी दस्तारों का अब क्या करिये.   

हम ही ने सर पर अपने बैठाया है
जमहूरी सरकारों का अब क्या करिये.
.
झूठ को सच औ सच को झूठ बनाते हैं  
डरे बिके अखबारों का अब क्या करिये.
.
सदियों से इंसानी जान की दुश्मन हैं
प्राचीरों मीनारों का अब क्या करिये.
.
अबकी बारिश में घर जाने क्या होगा
उन बूढी दीवारों का अब क्या करिये.
.
अपनों ही ने छोड़ दिया है जब हमको
गलियों का चौबारों का अब क्या करिये.
.
‘नूर’ कलंदर सी मस्ती में रहता है
उस जैसे खुद्दारों का अब क्या करिये.
.
निलेश "नूर"
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 680

Comment

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 18, 2015 at 9:22pm

जी ..
मैं पुनरावलोकन करता हूँ 
सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 18, 2015 at 9:05pm

//वो लघु पढिये //
अवश्य पढ़ा हूँ, आदरणीय. उस मिसरे में ’वो’ को गिरा कर ही पढ़ा जायेगा. तभी ’कहानी’ के ’क’ से युक्त हो कर दो लघु बन पायेंगे. लेकिन फिर भी मुझे प्रवाह में बाधा महसूस हुई. अतः आपसे निवेदन किया.
सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 18, 2015 at 7:03pm

शुक्रिया आ. सौरभ सर ..वो लघु पढिये 
व कहानी थी 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 18, 2015 at 7:03pm

शुक्रिया आ. वीनस जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 18, 2015 at 6:32pm

वाह आदरणीय नीलेशजी.. वाह ! ग़ज़ल के लिए दाद कुबूल कीजिये.

तुम कब तुम थे- मैं कब मैं, वो कहानी थी  .. इस मिसरे की गेयता को लेकर मैं संतुष्ट नहीं हो पाया. कथ्य अपनी जगह गेयता या वाचन-प्रवाह इस बहर केलिए अत्यंतावश्यक है.

Comment by वीनस केसरी on May 16, 2015 at 1:22am

जिंदाबाद भाई जिंदाबाद

एक एक शेर पर भरपूर दाद हाज़िर है

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 14, 2015 at 8:07am

शुक्रिया श्री सुनील जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 14, 2015 at 8:07am

शुक्रिया निर्मल भाई 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 14, 2015 at 8:07am

शुक्रिया आ. गिरिराज जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 14, 2015 at 8:06am

शुक्रिया आ. डॉ आशुतोष जी 

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