For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" अरे रामू , तुम वापस कब आये , फिर से घर का काम करोगे "?
" क्या करता साहब , बेटा तो अपनी नौकरी पर चला जाता था और रात देर से लौटता था "।
" तो क्या , आराम से घर पर रहते , बहू और बच्चों के साथ समय बिताते "।
" अब क्या कहूँ साहब , आप कम से कम हमें नौकरों जैसा तो समझते हो , पर बहू तो .."!

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 21, 2015 at 8:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , आपके शेर के लिए धन्यवाद..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 21, 2015 at 7:00pm

मैं आपकी इस लघुकथा को अपना एक शेर दे रहा हूँ -

घोर आपत्तियों के मौसम में

मौन तक आज मुखर लगता है

बहुत खूब आदरणीय !

Comment by विनय कुमार on May 15, 2015 at 12:07pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सुभ्रांशु पाण्डेयजी.

Comment by Shubhranshu Pandey on May 15, 2015 at 10:19am

आदरणीय विनय जी,

मौन को इस हद तक मुखर बनाने के लिये बधाई..

सादर.

Comment by विनय कुमार on May 15, 2015 at 1:19am

बिलकुल सही कहा आपने आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी , पोस्ट करने की जल्दी ही अक्सर कारण होती है इसकी | पुनः आभार.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 15, 2015 at 12:29am

विलम्ब हेतु क्षमा ,आदरणीय विनय जी. आपके संशोधन पश्चात लघुकथा में बहुत निखार आ गया है ,अक्सर हम शायद पोस्ट करने की आतुरता में भूल जाते है. मेरे साथ तो यही कारण है :-))

प्रस्तुति पर आपको पुन: बधाई आदरणीय विनय जी   सादर!

Comment by विनय कुमार on May 14, 2015 at 11:26pm

धन्यवाद , सादर नमस्ते आदरणीय सविता मिश्रा जी..

Comment by savitamishra on May 14, 2015 at 10:44pm

बढ़िया कहीं आपने ..सादर नमस्ते

Comment by विनय कुमार on May 14, 2015 at 10:40pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय कृष्ण मिश्रा जान गोरखपुरी जी .

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 14, 2015 at 3:47pm

वाह! सुन्दर लघुकथा पर बधाई आ० विनय जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service