For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राहुल और निधि कब एक दूसरे के हो गये पता ही नही चला | दोनों ने साथ साथ जीने मरने की कसमें खायीं थीं । निधि के घरवाले इस शादी के सख्त खिलाफ थे, किन्तु निधि की जिद के आगे उनकी एक न चली और अंतत: उन्हें शादी के लिए अपनी रज़ामंदी देनी ही पड़ी।

निधि उस दिन ऑफिस से जल्दी ही निकल गई, वह राहुल को यह खुशखबरी देना चाहती थी । निधि दरवाजे की घंटी बजाने ही वाली थी कि राहुल के कमरे से आ रही तेज आवाज़ों को सुन रुक गई,
"अरे राहुल, शादी की मिठाई कब खिला रहा है ?"
"अबे साले, शादी के लिए लड़की भी तो चाहिए, तू दारू पी दिमाग़ मत चाट"

"पर राहुल, तू तो निधि से प्यार करता है ना, फिर शादी भी तो उसी से ...."

"मैं और निधि से शादी करूँगा ? तू पगला गया है क्या ? उस लड़की का क्या भरोसा जो शादी से पहले ही मेरे साथ ....."

आगे के शब्द सहस्र बिच्छुओं के डंक के बराबर थे |

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट =>शातिर (अतुकांत)

Views: 1035

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 2:10am

गहरी सीख 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2013 at 4:44pm

आधुनिकता की अंधी दौड़ में भाग रही लड़कियों के लिए एक बड़ा सबक है ये लघु कथा ,बहुत बढ़िया सन्देशपरक प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई |

Comment by अजीत शर्मा 'आकाश' on November 2, 2013 at 6:20am

सन्देशपरक .... आदरणीय !!!

Comment by Usha Taneja on November 1, 2013 at 8:56pm
पुरुष-मानसिकता का डंक निधि के साथ साथ हर अति आधुनिक लड़की को समय रहते चुभना चाहिए ।
बहुत बढ़िया संदेश!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 1, 2013 at 8:52pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर साहब | 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 1, 2013 at 8:51pm

प्रिय अनुज अरुन, यदि देखी जाय तो आज महानगरों में दोनो स्थितियाँ देखने को मिल रही हैं, लड़के और लड़कियों मे एक होड़ सी लगी है कि किसकी लिस्ट मे संख्या अधिक है, इस अंध दौड़ में कौन कब ठोकर खा जाय कहना मुश्किल है, आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार | 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 1, 2013 at 8:45pm

आदरणीय जितेंद्र जी, प्यार करना ग़लत नही है,ग़लत है प्यार की आड़ में समर्पण करना और चेहरे पर चेहरे लगाए हुए भेड़ियों को न पहचान सर्वस्व न्योछावर कर देना, लघुकथा आप तक पहुँच सकी लेखन कर्म सार्थक हुआ,बहुत बहुत आभार |  


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 1, 2013 at 8:34pm

आदरणीय डाक्टर आशुतोष जी, यदि यह लघुकथा किसी एक को भी सतर्क कर सकी तो लघुकथा सार्थक हो जाएगी, आपको यह प्रस्तुति पसंद आई और आपने उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया करी इसके लिए मैं बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ | 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 1, 2013 at 7:52pm

आदरणीय सुशिल भाई साहब, आपकी टिप्पनी बहुत ही सारगर्भित लगी, इस लघुकथा का शीर्षक पहली बार में हिट किया और वाही रख दिया, आपको लघुकथा पसंद आयी रचना सफल हुई, बहुत बहुत आभार । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 1, 2013 at 7:49pm

आदरणीया गीतिका जी, आप तक लघुकथा अपने मूलस्वरूप में पहुँच सकी लेखन कर्म सार्थक हुआ,बहुत बहुत आभार । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
8 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service