For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आकाश में उड़ने की चाह लिये
कल्पना रूपी पंखों को फैलाने की कोशिश करता हूँ
पर
अक्सर नाकाम होता हूँ
उस ऊँची उड़ान में,
फिर भी आस लगाये रहता हूँ
कि कभी तो वो पर निकलेंगे
जो मुझे ले जायेंगे
मेरे लक्ष्य की ओर,
और अनवरत ही
बढता जाता हूँ
अथक प्रयास करते हुए
सुनहरे ख्वाब की ओर अग्रसर करने वाले पथ पर।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 429

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on August 21, 2014 at 2:51pm

आदरणीय  सौरभ पाण्डेय  जी आपका आशीर्वाद मिला,  प्रशंसा के लिए ह्रदय से आभार|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 17, 2014 at 5:11pm

अवश्य प्रयासरत रहें भाई पवनकुमारजी.

प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई.

Comment by Pawan Kumar on August 14, 2014 at 5:28pm

आदरणीय भईया राम शिरोमणि पाठक"दीपक", उत्साह वर्धन व प्रशंसा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Pawan Kumar on August 14, 2014 at 5:24pm

आदरणीया Dr.Prachi Singh जी आपका आशीर्वाद मिला, उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Pawan Kumar on August 14, 2014 at 5:11pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आपका आशीर्वाद मिला, आपने मेरी प्रथम कोशिश को सराहा, मन आल्हादित हुआ, आपकी प्रशंसा के लिए ह्रदय से आभार|

Comment by ram shiromani pathak on August 14, 2014 at 12:39pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति भाई पवन जी...........  प्रयासरत रहें शुभ शुभ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2014 at 8:11am

कल्पनाएँ ....संकल्प में ढल जाएं और हौसलों के पंख हों तो पंछी लम्बी उड़ान  अवश्य ही लेता है

प्रस्तुत कविता की सकारात्मक ऊर्जस्विता के लिए हार्दिक बधाई आ० पवन कुमार जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 13, 2014 at 8:53pm

कोशिशे अवश्य कामयाब होती है मित्र  i मै  इस कविता को आपकी रचना की कोशिश केरूप में देखता हूँ  iआपकी कोशिश अच्छी  है i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service