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ग़ज़ल :-मिस्र वालों ने दिखाई हिम्मत

ग़ज़ल :- मिस्र वालों ने दिखाई हिम्मत

कैद बेशक है आज पिंजर में ,

हौसला है मगर अभी पर में |

 

मिस्र वालों ने दिखाई हिम्मत ,

जी रहे हम न जाने किस डर में |

 

हत परिंदों को बचाता है कौन ,

देव मिलते नहीं हैं अब नर में |

 

धूल जूते की बता देगी तुम्हें ,

कोस कितने चला है दिन भर में |

 

दिल्ली चिर-काल से लुटेरी है   ,

राजधानी करो अमृतसर में |

 

घर में बच्चों को सिखाएंगे क्या ,

घूस जो ले रहे हैं दफ्तर में |

 

बेटियों वाले सहमें होते हैं ,

गुण वो देखेंगे क्या भला वर में |

 

खून खरगोश का हुआ होगा ,

हुस्न निखरा है आपका फर में |

 

कौन 'साये में धूप' ले आया ,

ज्वार उठने लगा समंदर में |

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Comment

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Comment by Abhinav Arun on February 7, 2011 at 2:51pm
आदरणीय श्री शेष जी एवं वीनस जी बहुत बहुत आभार !!
Comment by वीनस केसरी on February 6, 2011 at 3:28pm
हर शेर बेमिसाल
खुश कर दित्ता
Comment by Abhinav Arun on February 6, 2011 at 10:53am
और इस कहानी में वज़न आप जैसे कद्रदानों से आता है | शुक्रिया |
Comment by आशीष यादव on February 6, 2011 at 10:26am
कैद बेशक है आज पिंजर में ,

हौसला है मगर अभी पर में |

हत परिंदों को बचाता है कौन ,

देव मिलते नहीं हैं अब नर में |

 

धूल जूते की बता देगी तुम्हें ,

कोस कितने चला है दिन भर में |

घर में बच्चों को सिखाएंगे क्या ,

घूस जो ले रहे हैं दफ्तर में |

बेटियों वाले सहमें होते हैं ,

गुण वो देखेंगे क्या भला वर में |

इस ग़ज़ल की भी क्या रवानी है,
हर इक शे'र इक कहानी है||

Comment by Abhinav Arun on February 6, 2011 at 9:33am
आदरणीया वंदना जी आपके शब्द मेरे लिये प्रोत्साहन हैं | शुक्रिया |
Comment by Abhinav Arun on February 5, 2011 at 10:58am
शुक्रिया राणा जी |हौसला बढ़ाया है आपने और ओ.बी.ओ. ने भी मेरा |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on February 5, 2011 at 9:58am

कौन 'साये में धूप' ले आया ,

ज्वार उठने लगा समंदर में |

 

"साये मे धूप" की राह पर ही अग्रसर है आपकि लेखनी। बधाई

कृपया ध्यान दे...

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