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भोजपुरी प्रतियोगिता को दुबारा प्रारम्‍भ करने के संबंध में आग्रह पत्र

आदरणीय श्री गणेज जी

                             सादर प्रणाम

 

                               श्रीमान ना मेरा कद है और ना ही आपके किसी निर्णय के बारे में बोलने का हक ही है, परन्‍तु श्रीमान जी शायद आज पहली बार मैं इस वेवसाइट के अवलोकन करने एवं इसके क्रिया-कलाप समझने का मौका मिला।मुझे यह देख कर बहुत ही अच्‍छा लगा कि अभी तक यह पटल किसी राजनीत का शिकार नहीं है। रचनाकार जो भी है उन्‍हे सीखने का पूरा मौका दिया जा रहा है,उनका मार्गदर्शन किया जा रहा है। ना कि उनके साथ भेद-भाव या उनका मनोबल तोडने का कार्य किया जा रहा है। आप जो लेखको और रचनाकारो का वेव मंच चला रहे है वो अपने आप से बहुत ही बड़ी बात है। एक वेव मंच को सफलता पूर्वक चलाना, हर घड़ी उसे अपटूडेट करना यह एक बहुत मायने रखता है। जहॅा तक मेरी जानकारी है समाचार पत्र या अन्‍य सरकारी या गैर सरकारी जितनी भी साइटे है वह आपके इस पोर्टल की तरह अपटूडेट नहीं होती है यह मेरा दावा भी है। आपने जो इस पोर्टल केा सफलता के नये आयाम तक पहँचाया है, जो एक वेव मंच को संचालित करने की योग्‍यता रखे है वह अपने आप में बहुत बड़े हैसले की बात है।

               

                        परन्‍तु श्रीमान जी हमारा अपराध क्षमा करेगें कि पोर्टल के अवलोकन के दौरान एक बात आप के व्‍यक्तित्‍व से मेल खाती नहीं दिखाई दिया वह यह कि ****आपने  भोजपुरी लोगन की उदासीनता के कारण और प्रतियोगिता के निराश जनक परिणाम के हतोत्‍साहित होने से बंद कर दिया******महोदय एक पोर्टल को कितने मेहनत और कितने परिश्रम के बाद सार्वजनिक पटल पर लाया जाता है, मैं इससे भलि-भाति परिचित हॅूं। आप लोगो ऐसे समय में जब लेखन कार्य के लिये पोर्टल बनाने की कोई सोचता भी नहीं है अपने लगन और मेहनत से ना इसे स्‍थापित किया, इसे सफलता पूर्वक चलाया और अपटूटेड किया। वह असफलता से हतोत्‍साहित हो यह समझ से परे है। खास तौर मैं तो इसे समझ ही नहीं पा रहॅां हॅूं।  और जहॉं तक प्रतियोगिता के असफल होने की बात है श्रीमान जी मेरा मन लगातार उसके चंद कमीयों की तरफ ईशारा करता है। जो निश्‍चित तौर पर आप से नहीं, उस प्रतियोगिता के संचालक के तरफ से हुई है।

 

                   अत:श्रीमान जी मैं पूरे भोजपुरी समाज की तरफ से आप से आग्रह करता हॅू, कि आप इस प्रतियोगिता को दुबारा प्रारम्‍भ करने की महती कृपा करें।  हमे विश्‍वास है कि  भोजपुरी प्रतियोगिता इस पटल के विकास में अपनी उपस्थिती दर्ज करा कर आपके मान को बढ़ाने का कार्य करेगी । सधन्‍यवाद ---------आप से क्षमा मॅागते हुए आपका अखंड गहमरी

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Replies to This Discussion

सुझाव सकारात्मक है| एक निवेदन करूंगी कि प्रतियोगिता न कह के इसे आयोजन का रूप दिया जाता तो बेहतर| अभोजपुरी चाहे इसमे बतौर रचनाकार सम्मिलित न हो सकें किन्तु प्रतिक्रिया तो अवश्य करेंगे| शेष मंच की सहूलियत पर निर्भर है|

सादर वेदिका!!   

आदरणीया गीतिका जी, उम्मीद है ऊपर लिखी मेरी टिप्प्णी से आप भी संतुष्ट होंगी |

जी हाँ आ०बागी जी!

आदरणीय गहमरी जी,

प्रणाम

सर्वप्रथम तो इस पोस्ट के लिए मैं आपको बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूँ | अब मैं विन्दुआर बात करता हूँ .....

//श्रीमान ना मेरा कद है और ना ही आपके किसी निर्णय के बारे में बोलने का हक ही है//

यह मंच प्रारम्भ से ही निष्पक्षता और पारदर्शिता हेतु जाना जाता है, विचारों को उचित स्थान देने हेतु कई सुविधाएँ यहाँ उपलब्ध है, उसी कड़ी में "सुझाव और शिकायत" समूह भी है |

//पोर्टल के अवलोकन के दौरान एक बात आप के व्‍यक्तित्‍व से मेल खाती नहीं दिखाई दिया वह यह कि ****आपने  भोजपुरी लोगन की उदासीनता के कारण और प्रतियोगिता के निराश जनक परिणाम के हतोत्‍साहित होने से बंद कर दिया//

व्यक्तित्व से मेल नहीं खाती !!! भाई साहब, जब प्रतियोगी ही नहीं तो प्रतियोगिता किसके लिए ? एक पक्ति में उत्तर देने का प्रयास करता हूँ ....

"कापर करूँ श्रृंगार सखी, पिया मोर आन्हर"

//श्रीमान जी मेरा मन लगातार उसके चंद कमीयों की तरफ ईशारा करता है। जो निश्‍चित तौर पर आप से नहीं, उस प्रतियोगिता के संचालक के तरफ से हुई है।//

कोई संस्था, साईट, आयोजन/प्रतियोगिता सफलता पूर्वक चलाना किसी एक के वश की बात नहीं, यह तो सामूहिक प्रयास से चलता है, ओ बी ओ पर रहकर इस बात को आपने महसूस भी किया होगा, फिर संचालक को दोष क्या देना | भाई जी मैं भी भोजपुरिआ हूँ और भोजपुरिआ टेंडेंसी को अच्छी तरह पहचानता हूँ, कम लिखे को अधिक समझेंगे यह उम्मीद है |

//अत:श्रीमान जी मैं पूरे भोजपुरी समाज की तरफ से आप से आग्रह करता हॅू, कि आप इस प्रतियोगिता को दुबारा प्रारम्‍भ करने की महती कृपा करें।//

प्रश्न पुनः वही : भोजपुरी प्रतियोगिता या भोजपुरी आयोजन किसके लिए ?

"भोजपुरी साहित्य समूह" में आयी हुई कितनी रचनाओं को पाठक मिल रहे हैं ? क्या इस साईट से जुड़े आप सहित सभी भोजपुरिआ लोग अपनी उपस्थिति वहाँ देते हैं ?

यदि नहीं तो प्रतियोगिता/आयोजन प्रारम्भ करना बेमानी है |

सादर |

आदरणीये श्री गणेश जी बागी नमस्‍कार आप के जबाब से हम लोग संतुष्‍ठ तो है मगर शायद हम जो अब बात कहे उसे हमारे संस्‍कारो में बड़ो से जबान लड़ाना कहा जाता है, मगर क्‍या करे मजबूरी है। हम अपने बड़ो से अपनी बात ना कहे तो किससे कहने जायेगें।

किसी विषय पर बहस हो जाती तो आप कहेगे बेकार की बात है मगर मैं आपका छोटा अपनी बातो भी कम शब्‍दों में रखना चाहॅँता हूँ।

1 आपने कहा पाठक और प्रतियो‍गी नहीं है तो बेमानी हैं।

                   पोर्टल के अनुसार आप ही नहीं हमारा  का पोर्टल नवम्‍बर 1999 में प्रारम्‍भ हुआ था जिसमें

                   30 नवम्‍बर को दोपहर 12 बजे अरूण कुमार निगम की रचना ****जीवन क्‍या है***प्रकाशित हुई जिसको आज तक कुल 8 लोगो ने देखा,

                 उसके बाद लगभग 10 वर्षो तक यह पोर्टल बन्‍द रहा या जो भाी कारण हो यह आप सब ही जाने  उसके बाद

         फरवरी 2010 में जब यह दुबारा प्रारम्‍भ हुआ तो इसमें श्री अटल बिहारी वाजपेयी श्री बालश्वरुप राही निदा फाज़ली सहित कुल 3  रचना प्रकाशित हुई। ,जिन पर  कुल 10 कमेन्‍ट आये, वक्‍त के साथ रचनाये बढ़ती गयी जो क्रमस: 34, 90 से बढ़कर धीरे धीरे

                     

  वर्ष 2010        सितम्‍बर 2010 में 340  रचानाये (यह माह रचना के दृष्‍टी से सर्वश्रेष्‍ठ रहा)

                       दिसम्‍बर 2010 में 287   रचनाए सहित कुल 2198 प्रकाशित हुई

        

वर्ष 2011         नवम्‍बर     2011  में  75   

                       मार्च         2011  में  210  रचनायें (यह माह रचना के दृष्‍टी से सर्वश्रेष्‍ठ रहा)

                       दिसम्‍बर    2011  में 112  रचनायें सहित वर्ष 2012 में कुल 1830 प्रकाशित हुई

 

वर्ष 2012         फरवरी 2012 में 117   

                       अगस्‍त 2012  में 311  रचनायें (यह माह रचना के दृष्‍टी से सर्वश्रेष्‍ठ रहा)

                       दिसम्‍बर 2012  में 283 रचनायें सहित वर्ष 2012 में कुल 2659 प्रकाशित हुई

 

वर्ष 2013         जनवरी 2013 में  221   

                      अक्‍टूबर  2013  में 394 रचनायें (यह माह रचना के दृष्‍टी से सर्वश्रेष्‍ठ रहा)

                       नवम्‍बर 2013  में 281 रचनायें सहित कुल 3339 प्रकाशित हुई

 

इस तरह महोदय वर्ष 1999 से नवम्‍बर 2013 तक 10027 रचनायें प्रकाशित हुई

 

जब कि हिन्‍दी लगभग 5 राज्‍यों समेत पूरे उत्‍तर भारत एंव टूटी-फूटी भाषा में लगभग पूरे भारत में बोला जाता है उसके लिये तो हम हिन्‍दी की कविता 4 साल में 10 हजार रचनाये पाते है यह मान भी लिया जाये की पूरी की पूरी रचनायें हिन्‍दी की तो भी 10027 रचनायें 4 साल में 2513 सदस्‍यों के साथ तो महोदय

हिन्‍दी की अपेक्षा भोजपुरी जो उत्‍तर प्रदेश के पूर्वाचल के 25 जिलों एवं बिहार के भोजपुर इलाको में ही बोली और समझी जाती है और यहॅां के लोग अभी भी इस वेवसाइट या नेट की प्रक्रिया को नही समझ पाये है ऐसे में अगर 184 सदस्‍य है और प्रारम्‍भ में सफलता ना मिले तो मेरे समझ से ये अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है जबकि इतने लोगो की मॉग की भोजपुरी को भाषा का दर्जा दिया जाये भारत सरकार को हिला कर रख दिया है  ऐसे में जब यह एक कार्मशियल वेवसाइट या गुप्र नहीं है तो कम पाठक या कम रचना कार के आधार पर किसी आयोजन को बंद कर दिया जाये आदरणीय यह उचित है या नहीं आप स्‍वंय निर्णय करे।

 

दूसरी बात महोदय महोदय कम पाठक या लेखक तो महोदय हमारे इस पोर्टल में जो अलग अलग भाषाओं का वर्गीकरण कर एक गुप्र बना दिया गया है वह सही तो है मगर भी पाठक की संख्‍या प्रभावित होती है, महोदय हमारे देश में अभी भी हर जगह नेट के कनेक्‍शन और स्‍पीड इतने तेज नही है कि वेव के कई पेज खोल सके, महोदय पाठक या रचना कार जो सामने देखता है वह ही पढ़ कर लिख कर मजबूरी में संतुष्‍ठ हो जाता है। वह कई पेजो के खोलने का जहमत नही उठाता वह हिन्‍दी पढ़ कर संतुष्‍ठ हो जाता है क्‍योंकि वह पटल के मुख्‍य पर है पता नही अगला पेज कितने देर में खुले तो यह भी एक कारण हम पूर्वाचल और भोजपुर वालो को पता ही नहीं है कि भोजपुर की साफ सुथरी रचना आज के आश्‍लीता से उपर की भोजपुरी रचना वह कहॅा पढें और कहा लिखे ।

 

       इस लिये हम महोदय से पुन: पूरे पूर्वाचल और भोजपुरी एवं समस्‍त भोजपुरी भाषी/समर्थक और आप के प्‍यार दुलार की तरफ से आग्रह करते है कि इस आयोजन को पुन: प्रारम्‍भ किया जाये----आप जैसे किसी बड़े रचनाकार ने लिखा है कि **कौन कहता है आसमा मे सुराख नहीं हो सकता यारो, पर एक पत्‍थर तो तबियत से उछालों यारोण्***** महोदय क्षमा करेंगें अगर मेरी कोई बात अनुचित लगी हो तो ------आपका अखंड गहमहरी गहमर गाजीपुर

 

ओ बी ओ का प्रारम्भ ट्रायल के तौर पर २४ फरवरी २०१० को प्रारम्भ हुआ लेकिन आधिकारिक रूप से डोमेन मैपिंग और शुभारम्भ १अप्रिल २०१० को हुआ |

आदरणीय अरुण जी कि रचना गलत तिथि भरने के कारण गलत तिथि में आ गई है जबकि मूल रचना निम्न लिंक पर देखी जा सकती है |

http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:457472

आपकी इस लम्बी प्रतिक्रिया में मूल प्रश्न अनुत्तरित ही है |

प्रश्न पुनः वही : भोजपुरी प्रतियोगिता या भोजपुरी आयोजन किसके लिए ?

"भोजपुरी साहित्य समूह" में आयी हुई कितनी रचनाओं को पाठक मिल रहे हैं ? क्या इस साईट से जुड़े आप सहित सभी भोजपुरिआ लोग अपनी उपस्थिति वहाँ देते हैं ?

यदि नहीं तो आखिर प्रतियोगिता किसके लिए ?

आदरणीय बागी जी, नमस्‍कार

                   मेरा बचपन से स्‍वभाव रहा है अपनी बात कहने वाली और भोजपुरी से लगाव था इस लिये आप से कह दिया, वरना वर्तमान में जो हमारी दशा है मैं 1 सप्‍ताह से कार एक्‍सीटेंड के बाद बिस्‍तर पर हूँ आँखो से पूर्ण रूप से दिखाई तक नहीं देता ऐसे मैं कदापि कोई अपनी बात नहीं कहता।

महोदय मेरी प्रतिक्रिया लम्‍बी अवश्‍य थी मगर तथ्‍यों के आधार पर थी,

1--- जब हम अधिक जनसंख्‍या में बोली जाने वाली मात्रभाषा एवं राजकीय भाषा हिन्‍दी के लिये 4 वर्षो का इंन्‍तजार कर सकते है तो फिर भोजपुरी के लिये क्‍यों नही

 

2---इस मंच से जो भी लोग जुडे़ है रचनाकार के आम पाठक कम ही है जुडे मिलेगे, हर रचनाकार अपनी और अपने अन्‍य संबंधित रचनाये देख कर पोर्टल से विदा लेता है , इस लिये सामने हिन्‍दी के पेजो या रचनाओं के पाठक की संख्‍या तो बढ जाती है मगर भोजपुरी की नहीं

 

3---अलग अलग गुप्र होने के कारण एक लिेक से दूसरे लिक जाने में नये पेज ओपने हेाते है ऐसे में लो स्‍पीड इन्‍टनेट कनेक्‍शन से वहॅा तक पहुचा आसान नहीं होता जबकि हिन्‍दी के पेज ही मोबाइलो पर सबसे आगे आते है और उस पर कही ये जिक्र नहीं होता कि भोजपुरी रचनाओं के लिये यहॅा क्लिक किजीए

 

4---आज स्‍तरहीन भोजपुरी वेवसाइटो की संख्‍या जादे होने के कारण इस पोर्टल जैसी साफ सुथरी भोजपुरी वाली वेवसाइटो तक आम यूजर पहुँच नहीं पाता

 

         महोदय इसमें आप कही आप गलत नहीं है आप नेट संबंधी समस्‍या तो दूर नही कर सकते और ना ही प्रचार प्रसार कर पायेगें।

          , ये तो भोजपुरी का दुर्भाग्‍य है कि हम ना उसकेा समय दे पा रहे है, ना उस पर विश्‍वास कर पा रहे है और ना उसके विकास एवं उत्‍थान के लिये चाहे लेखक हो या पाठक हेा

                                       

                   खैर आप सहीं है आप का निर्णय सर्व मान्‍य है , हमारी साहित्‍य के क्षेत्र में उतनी उम्र नहीं है जितनी आपने कलमों का प्रयोग किया होगा।

                                             बहस तो आज तक कभी किसी विषय पर समाप्‍त ही नहीं हुई तो इस विषय पर कहॉं से समाप्‍त होगी।                  

                                                            गलती के लिये क्षमा प्रार्थना के साथ आपका अखंड गहमरी

सब बात होई, बाकिर उहे ना होई जवन मेन मुद्दा बा |

१- भोजपुरी लिखे पढ़े से के मना करत बा, भोजपुरी साहित्य समूह में लिखी पढ़ी, इन्तजार के कवन बात बा |

२- एहमे हम का कही, हम त हिंदी के साथे भोजपुरियो लिखे पढ़ेनी, रउआ जान के ख़ुशी होई कि "भोजपुरी साहित्य समूह" साईट के प्रारंभिक दौर में ही बन गईल रहे |

३-मेने पेज प भोजपुरी समूह के आइकॉन बनल बा, आ ई नेट स्लो वाली बात भौकाल ह, जइसे मुख्य पेज खुली वोही तारे सब पेज खुलेला, दुनिया जानत बा कि हर वेब पेज के यूआरएल अलग अलग होला |

४- जेतना लोग पहुँच चुकल बा, वोमे से आधो लोग सक्रिय हो जाव त बात बन जाई, मजे के बात बा कि अधिकतर लोग के फेस बुक प खूब मन लागेला |

अंततः भोजपुरी समूह में लिखी पढ़ी, सक्रियता बढ़ी त हर चीज सम्भव बा | सादर |

प्रणाम आदरणीये बागी जी

                      एतना आश्‍वासन आप दिहली की सक्रियता बढ़ी त हर चीज सम्भव वा बहुत बा आप क बात सुन के आपन बात कहे के तन मन कबबे ले छटपटात रहे बकिर का करती एगो हाथ में पानी चढ़त रहे ऐसे ना लिख पावत रहनी

                हम एइजा रउवा के परिचय के बात त ना करब बकी एतना कहब की आपो बागी बलिया के धरती के हई औरी हम हूँ माइ कमइछा के गोदी में साहित्‍यकार गोपाल राम गहमरी के गॉंव क हमरो आप से इ वादा बा की जबले आपके मजबूर ना कर देव भेाजपुरी मंच के दुबारा शुरू करे के जौन बात आप कहले बानी बोकरा आधार पर बस हमार ऑंख के पटटी खुलला के बाद तनी हम चले लायक हो जाई उकरा बाद हम उ प्रचार प्रसार करके अपना क्षेत्र के कुल भोजपुरी कवि लोगन के ना जोडनी आपके मंच से त कहब भले कुछ हो जाये समय ना बताइब लेकिन जेतना अवकात बा उतना त करवे करब अब इ भोजपुरी प्रोगाम के शुरू करावे खातिर

 

आगे आप अग्रज के आर्शीवाद और माई कमइछा के कृपा से देखी का होला प्रणाम हमार बात खराब बुझााई या तनकी घमंड चाहे उत्‍तेजना लउकत होई  त माफ कर देब  आपक अखंड गहमरी

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