For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

          टीवी देखते देखते अचानक राम लाल बड़ी तेज़ी से फोन की ओर लपका, घर से दूर बड़े शहर मे पढ़ रही बिटिया से बात कर कुछ संयत हुआ, फिर दोनो आँखें बंद कर बुदबुदाया ……
"हे !  प्रभु आपका लाख-लाख शुक्र है बिटिया सकुशल है" 
                   टीवी पर अभी भी एक महिला फोटोग्राफर के साथ हुए सामूहिक बलात्कार पर विश्लेषण जारी था |

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1288

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 18, 2013 at 8:40am

आदरणीय शुभ्रांशु भाई, आपकी टिप्पणी बताती है कि आपने केवल इस रचना को पढ़ी ही नही है अपितु डूबे उतराए हैं, आपकी सराहना आत्मबल बढ़ाती है, बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 18, 2013 at 8:37am

आदरणीय रवि भाई, आप खुद एक सफल लघुकथाकार हैं और प्रस्तुत लघुकथा आपके हाथों से निकल सराहना प्राप्त करने मे सफल रही यह मुग्धकारी है, बहुत बहुत आभार | 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 18, 2013 at 8:34am

बहुत बहुत आभार आदरणीया मंजरी पांडे जी | 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 18, 2013 at 8:33am

आदरणीय डाक्टर आशुतोष मिश्रा जी, आपकी सराहना उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार | 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 18, 2013 at 8:32am

उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार अनुज राम शिरोमणि जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 18, 2013 at 8:31am

आदरणीया नयना कानीतकर जी, सराहना हेतु आभार | 

Comment by Shubhranshu Pandey on September 16, 2013 at 6:12pm

आदरणीय गणेश भैया, डर के मनोविज्ञान को सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया है. एक डर जिसके साये में हर पिता चलता है.

आदरणीय रवि जी ने एक लम्बा लेख लिख दिया है. उपसंहार के साथ. अच्छा है...

इस ज्वलंत समस्या को शिद्दत के साथ महसुस कराने में बागी जी सफ़ल हुये हैं. ऎसे में विचार उन पंक्तियों पर भी निकल कर आ रहें हैं जो लिखी  नहीं गयी हैं परन्तु ये between the lines हैं, और ये जरुरी हैं...

सादर.

Comment by Ravi Prabhakar on September 16, 2013 at 1:04pm

“हे प्रभु आप का लाख लाख शुक्र है बिटिया सकुशल है।” क्या हमारा दायित्व केवल अपनी ही बिटिया या बहू तक सीमित है?हमारी इसी संकुचित सोच का नाजायज फायदा उठाकर कुंठित और बीमार मानसिकता से ग्रस्त हैवान सदियों से हमारी बहू-बेटियों के सम्मान का हनन कर रहे है। केवल अपनी बिटिया के सकुशल होने पर निश्चिंत होकर बैठना उचित नहीं है। यह जंगल की आग कब हमारे अपने घरों तक पहुंच जाएगी इसका हमें पता भी नहीं चलेगा। अब तो हमें अपनी सोच बदलनी होगी, दूसरों की बेटियां भी हमारी ही बेटियां है।
मार्मिक एवं दिल को छू लेने वाली अमूल्य कृति के लिए बागी भाई को दिल की गहराइयों से शुभकामनाएं।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 13, 2013 at 7:47pm

आदरणीया राजेश जी, लघुकथा की आत्मा तक आपने पहुँच बनाई है, बहुत बहुत आभार, आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 13, 2013 at 7:45pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया वंदना जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service