For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! गीत !!!


तुम राष्ट् के कर्णधार देवदूत हो,
यदि शांति का, मार्ग दर्शन कर सकोगे?

नित नये नूतन किसलय अरूणिमा में,
या सांझ की श्याम धुन बांसुरिया हो।
धूप भी चन्दन लगेगा दोपहरिया में,
राष्ट् को यदि कीर्ति गौरव दे सकोगे? 1

तुम मनुष्य हो कर्म का फल भूल जाओ,
देश-धर्म हित लड़ो स्व भूल जाओ।
प्यार की पवि़त्र गंगा हर कहीं हो,
राष्ट् को यदि एक भगीरथ दे सकोगे? 2

सत्यम आहिंसा प्रेमु धन खूब लुटाओ,
राजपथ का मार्ग भी अवरूध्द हो जाये।
ज्ञान की वर्षा से जन शिक्षित हो जाये,
राष्ट् को यदि एक गांधी दे सकोगे? 3

देश हो गुलशन बहारें महका देंगी,
देश के कृषक और जवान झूम उठेंगे।
अन्न का अम्बार-त्यौहार जगमगाये,
राष्ट् को यदि लाल-जवाहर दे सकोगे? 4

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 681

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 16, 2013 at 6:26pm

आ0 प्राची मैम जी,  आपके स्नेह और सुविचारों से लेखनी को बल मिला है।  आपका हृदयतल से आभार।   सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2013 at 10:20pm

बहुत सुन्दर स्पष्ट विचारों को शब्द दिए हैं आपने इस गीत में आ० केवल प्रसाद जी 

बस शिल्प निर्वहन में कुछ कमी रह गयी जो सतत प्रयास से ही सधती जायेगी 

बहुत बहुत शुभकामनाएँ 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 14, 2013 at 9:31pm

आ0 सौरभ सर जी, सादर प्रणाम! आपका आशीष पाकर मैं धन्य हो गया। आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल आभारी हूं। सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2013 at 4:02pm

एक अरसे बाद आपसे कोई गीत सुन रहा हूँ,  भाई केवल प्रसाद जी.  बधाई स्वीकारिये.

रचना का विधान अपनी जगह.. उसका निर्वहन तो होता रहेगा. 

गीत अपने उद्येश्य में सफल है. 

बार बार बधाई.. . 

शुभेच्छाएँ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 13, 2013 at 9:28pm

आ0 विजय सर जी,  सादर प्रणाम!   आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदय तल से आभारी हूं।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 13, 2013 at 9:27pm

आ0 बसंत भाई जी,  सादर प्रणाम!   आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदय तल से आभारी हूं।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 13, 2013 at 9:26pm

आ0 कल्पना रामानी दी जी,  सादर प्रणाम! आपकी टिप्पणी मेरे लिए बेशकीमती है।  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदय तल से आभारी हूं।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 13, 2013 at 9:22pm

आ0 भण्डारी भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदय तल से आभारी हूं।  सादर

Comment by विजय मिश्र on August 13, 2013 at 1:42pm
सुंदर ,बहुत सुंदर गीत और प्रेरक आह्वान भी . बधाई केवलजी
Comment by बसंत नेमा on August 13, 2013 at 11:20am

बहुत सुन्दर  देश प्रेम से ओतप्रोत रचना बधाई आ0 सत्यम जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service