For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुरु को फासी कब चढाओगे ,

ओ दिल्ली वालो ,
हमें इतना बताओ ,
हिन्दुस्ता पे जो खाज परे हैं ,
उसको कब मिटाओगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,
हिन्दुस्ता पे बहुत ऐसे खाज हैं ,
उसको मिटाना जरुरी आज हैं ,
मेहमान बनाके कब तक ,
पैसा लुटाओगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,
मेरी नहीं ये ,
देश की मांग हैं ,
आपको तो भोट दीखता ,
हमें हिंदुस्तान हैं ,
हिंद में ख़ुशी का ,
दिन कब लावोगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,
हिन्दू , मुस्लिम ,
सिख . इसाई ,
हिन्दुस्ता के पहचान हैं भाई ,
किशी से पूछो ,
बस यही पाओगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,

Views: 387

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 21, 2010 at 10:31am
हिन्दुस्ता पे बहुत ऐसे खाज हैं ,
उसको मिटाना जरुरी आज हैं ,
मेहमान बनाके कब तक ,
पैसा लुटाओगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,
waah guru jee waah....kamaal kar diya aapne...dhoti ko phaar kar rumaal kar diya aapne..
Comment by Khushboo on May 21, 2010 at 10:30am
ओ दिल्ली वालो ,
हमें इतना बताओ ,
हिन्दुस्ता पे जो खाज परे हैं ,
उसको कब मिटाओगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,\
bahut badhiya ravi kumar jee.....bahut accha likhte hain aap...aapke naam jisne bhi guru jee joda hai bilkul sahi joda hai.........

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 20, 2010 at 7:57pm
गुरु जी आप तो ओपन बुक्स ऑनलाइन के सर्वगुण संपन्न सदस्य है, आप का जबाब न्ही है, पहले कविता फिर उसका आडियो भूत बढ़िया , कविता का विषय भी अच्छा है, सारे हिन्दुस्तानियो के माँग को आपने अपने कविता के द्वारा लिखा है,
Comment by Admin on May 20, 2010 at 4:50pm
Comment by Admin on May 20, 2010 at 3:34pm
ओ दिल्ली वालो ,
हमें इतना बताओ ,
हिन्दुस्ता पे जो खाज परे हैं ,
उसको कब मिटाओगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,

वाह गुरु वाह , बहुत बढ़िया , एक गुरु ने गुरु के लिये फासी जल्दी देने की मांग कर रहे है, बहुत बढ़िया,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
16 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service