तुम हो ख्वाबों में ऐसा लगता क्यूँ है
अब हो यादो में ऐसा लगता क्यूँ है
हाँ तुझको देखा था ना जी ना हमने
तुम हो आँखों में ऐसा लगता क्यूँ है
तुमको पाया है तुमको चाहा हमने
तुम हो साँसों में ऐसा लगता क्यूँ है
अपनी चाहत में तुझको ढूँढा हमने
तुम हो बातों में ऐसा लगता क्यूँ है
भाती है गीतों की वो रातें मेरी
तुम हो साजों में ऐसा लगता क्यूँ है
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मौलिक और अप्रकाशित
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अतेन्द्र कुमार सिंह'रवि'
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Comment
आपकी इस रचना को वो समय आपसे नहीं मिला है जिसकी चाहत किसी रचना को आप जैसे पुराने प्रयासकर्ता से अपेक्षित रहती है.
आपका प्रयास पुनः सकर्मक हो, अतेन्द्र भाई, तथा हम सुगढ भावभूमि पर आधारित आपकी सार्थक रचनाओं से लाभान्वित होते रहें.
बहरहाल प्रस्तुति पर बधाई व शुभकामनाएँ.
भाई अतेन्द्र जी, बहुत लम्बे अन्तराल के बाद ओबीओ पर आपको देखा, अच्छा लगा. लेकिन निरंतर प्रयास पर लगे विराम की झलक आपकी द्विपदियों में साफ़ साफ दिखाई दे रही है. इधर आपकी रचनाएँ भी ओबीओ के तेशे की तराश से महरूम रह गईं प्रतीत हो रही हैं. भाई अरुण शर्मा अनंत ने द्विपदी के जिस पद का ज़िक्र किया वह मेरी भी समझ में नहीं आ रहा. इस प्रकार की अस्पष्टता पाठक को रचना से दूर करती है. बहरहाल इस सद्प्रयास हेतु मेरी बधाई स्वीकारें.
भाई अरुण जी सबसे पहले हम आपके आभारी है कि आपने हमारी रचना को पढने के लिए समय निकाला ......वैसे आपका प्रश्न करना जायज है परन्तु उत्तर भी दूसरी लाइन में ही था ....फिर आपको स्पष्ट नहीं हो रहा है तो बताना चाह रहा हूँ कि मैंने क्या सोचकर लिखा था .....यह एक प्रेमी व्यथा कहे या अनदेखा प्रेम जो मात्र एक झलक दूर से देखा हो और अपनी प्रेमिका से इजहार करने पर प्रेमिका द्वारा यह कहना कि यह प्रेम कैसे हो सकता है जबकि हमने एक दूसरे को देखा तक नहीं ...तब प्रेमी कहता है हाँ तुझको देखा था ना जी ना हमने........
तुम हो आँखों में ऐसा लगता क्यूँ है......
वैसे देखा जाय तो प्रेम तो कही भी किसी से और कैसे भी हो सकता है .....कभी कभी किसी कि बात दिल को छू जाती है तो कभी अनजाने ही दिल बेचैन हो उठता है किसी के लिए ...शायद वो रिश्ता किसी पिछले जन्म का हो ....
वैसे आपको क्या लगता है ......आपसे मार्गदर्शन चाहूँगा कि ये लाइन ठीक है कि नहीं ......अतेन्द्र
भाई अतेन्द्र कुमार सिंह'रवि' जी प्रयास हेतु बधाई किन्तु आपने रचना को समय नहीं दिया, शिल्प पर तनिक अधिक ध्यान दें.
हाँ तुझको देखा था ना जी ना हमने ? मुझे स्पष्ट नहीं हुआ आप क्या कहने चाह रहे हैं.
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