For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हेलीकाप्टर से उड़ान हुई ,
संवेदना उनकी महान हुई !

घूमे ,फिरे ,खेले ,खाए ,
किस कदर थकान हुई !

ये जो मौत के मंज़र देखे,

कुदरत है ,मेहरबान हुई !

लोग हलकान और भूखे हैं,

खूब तक़रीर, परेशान हुई !

वोट गिनते आसमां में वो, 
कोई बस्ती श्मशान हुई !
 
_____________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ 

(मौलिक और अप्रकाशित )


 

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 7:09pm

तन्त्र पर तीक्ष्ण व्यंग किया है आपकी रचना पर ,,

पीड़ित  इलाके में एक उड़ान से जाने और वापस आ जाने  में ही उनके कर्तव्य की इति श्री हो जाती होगी!!!!  

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 24, 2013 at 8:06am

वोट गिनते आसमां में वो, 
कोई बस्ती श्मशान हुई !

कम शब्दों में तीखी बात ....

ये जो मौत के मंज़र देखे,

कुदरत है ,मेहरबान हुई !

Comment by sombirnaamdev on June 23, 2013 at 11:27pm

मुबारक हो शूकल  जी

Comment by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 23, 2013 at 10:07pm

D P Mathur साहब आपकी दृष्टि का हार्दिक आभार !

Comment by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 23, 2013 at 10:06pm

आपका सस्नेह धन्यवाद  Priyanka singh !

Comment by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 23, 2013 at 10:04pm

आपका हार्दिक आभार MAHIMA  SHREE जी !

Comment by MAHIMA SHREE on June 23, 2013 at 8:22pm

क्या बात है  आदरणीय शुक्ल जी .. बहुत कम शब्दों में कितनी बड़ी बातें कह दी बधाई आपको  

Comment by Priyanka singh on June 23, 2013 at 6:52pm

खूब कहा सर ....बधाई 

Comment by D P Mathur on June 23, 2013 at 6:32pm

आदरणीय शुक्ल सर ,व्यंग्य रूप में आपका काव्य बहुत अच्छा लगा !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service