For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी थक गयी ऐसे हालात से .

ग़ज़ल
यूँ ना खेला करो दिल के ज़ज्बात से .
जिंदगी थक गयी ऐसे हालात से .
रोज़ मिलते रहे सिर्फ मिलते रहे .
अब तो जी भर गया इस मुलाक़ात से .
ख्वाब में आता हँसता लिपटता सनम .
हो गई आशनाई हमें रात से .
गा रहा था ये दिल हंस रही थी नज़र .
क्या पता आँख भर आई किस बात से .
फन को मापतपुरी पूछता कौन है .
पूछे जाते यहाँ लोग अवकात से .
गीतकार -सतीश मापतपुरी
मोबाइल -9334414611

Views: 427

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 8, 2010 at 8:55am
भाई सतीश मापतपुरी ,

सच में बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है आपने ! आपके शे'यर दिल को छूने वाले और कहने का अंदाज़ निराला है ! एक पुर-असर मतला किसी सुंदर ग़ज़ल की पहली requirement होती है और आपकी ग़ज़ल का मतला उस कसौटी पर पूरा खरा उतरता है ! आपके मुन्दर्जा-ज़ैल दो शे'यर भी बहुत दिलकश हैं !

//गा रहा था ये दिल हंस रही थी नज़र .
क्या पता आँख भर आई किस बात से .
फन को मापतपुरी पूछता कौन है .
पूछे जाते यहाँ लोग अवकात से .//

आपसे गुज़ारिश है की कभी रुकना नहीं, ये सफ़र हमेशा जारी रहना चाहिए ! मेरी दुआ है की प्रभु आपकी कलम को बल बख्शे !

योगराज प्रभाकर
098725-68228
092168-98998
Comment by asha pandey ojha on May 6, 2010 at 10:17am
ख्वाब में आता हँसता लिपटता सनम . हो गई आशनाई हमें रात से . गा रहा था ये दिल हंस रही थी नज़र . क्या पता आँख भर आई किस बात से Thats really wonderfu lines of this Gzal..simply great &touchy..!
Comment by Kanchan Pandey on May 5, 2010 at 9:43pm
रोज़ मिलते रहे सिर्फ मिलते रहे .
अब तो जी भर गया इस मुलाक़ात से .
achhi gazal hai, umeed karti hu ki aagey bhi aapko padhney ko mileyga, thanks
Comment by Admin on May 5, 2010 at 9:33pm
गा रहा था ये दिल हंस रही थी नज़र .
क्या पता आँख भर आई किस बात से .
फन को मापतपुरी पूछता कौन है .
पूछे जाते यहाँ लोग अवकात से .

सतीश मापतपूरी जी, सर्वप्रथम तो ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर आपके पहले पोस्ट का तहेदिल से स्वागत और अभिनन्दन है, आपने अपने पहले पोस्ट मे ही बहुत शानदार ग़ज़ल लिखा है, बहुत बढ़िया, मै तो आपकी भोजपुरी लेखन की प्रतिभा से पूर्व से ही परिचित था, किन्तु आज आपकी हिंदी रचना देखकर मन बाग़ बाग़ हो गया, बहुत ही बढ़िया, आगे भी आप के रचना , टिपण्णी और मार्गदर्शन का हमे बहुत ही सिद्दत से इंतजार रहेगा, धन्यवाद,

फन को मापतपुरी पूछता कौन है .
पूछे जाते यहाँ लोग अवकात से .


अंत मे आप की इन दो लाइनो पर मै कहना चाहुगा की................

यहाँ फन को पूछा ही नहीं जाता है,
बल्कि पूजा जाता है "मापतपुरी",
ये कोई और मंच नहीं, आप जुड़े है,
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम से,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 5, 2010 at 9:27pm
bahut badhiya gajal likha hai aapne satish jee.....dhanybaad yahan humlogo ke beech post karne ke liye........
Comment by Rash Bihari Ravi on May 5, 2010 at 2:26pm
यूँ ना खेला करो दिल के ज़ज्बात से .
जिंदगी थक गयी ऐसे हालात से .
रोज़ मिलते रहे सिर्फ मिलते रहे .
अब तो जी भर गया इस मुलाक़ात से .
bahut khub

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
9 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
19 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत धन्यवाद"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service