For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"बात दो रोटी की है "

कैसे भूल सकता हूँ ,
भूंख से उसका कराहना !
ज़िन्दगी और मौत का ,
अजीब मंज़र !!

रोटी के लिए संघर्ष ,
सोचो कितनी दर्दनाक मौत ,
वो भी भूंख से ,
पेट की आंत गवाह है !!

अखबार का प्रथम पृष्ठ ,
भुखमरी से मौत का चित्रण ,
छापा गया था उसमे ,
विधिवत देकर उदाहरण!

कितना परिश्रम किया होगा ,
आंकड़े एकत्र करने में ,
काश! थोड़ी मेहनत की होती ,
इनका पेट भरने में !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक \अप्रकाशित

Views: 316

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on January 27, 2013 at 3:55pm

कितना परिश्रम किया होगा ,
आंकड़े एकत्र करने में ,
काश! थोड़ी मेहनत की होती ,
इनका पेट भरने में !!..............वाह संवेदन शील कथ्य 

//आकड़ा इकठ्ठा न करें तो भूखे मरने वालों की फेहरिस्त में खुद उसका नाम होगा ।// हा हा हा गणेश जी जय हो आपकी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 26, 2013 at 7:39pm

अच्छे भाव अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक आभार शिरोमणि पाठक जी

Comment by ram shiromani pathak on January 26, 2013 at 2:40pm

हार्दिक आभार आपका गणेश जी...................


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2013 at 2:28pm

//कितना परिश्रम किया होगा ,
आंकड़े एकत्र करने में ,
काश! थोड़ी मेहनत की होती ,
इनका पेट भरने में !!//

सभी अपना अपना कर्म करें तो भूखे मरने की नौबत ही न आयें । आकड़ा इकठ्ठा न करें तो भूखे मरने वालों की फेहरिस्त में खुद उसका नाम होगा । रचना भावनात्मक स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Jun 7

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service