For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो कुण्डलियाँ...सावन की.

हरी-हरी धरती भई.....

----------------------------------------
बदरा बरसे शान से, बिजुरी चमके जोर.
हरी - हरी धरती भई,जित देखूं उत ओर.
जित देखूं उत ओर,हुआ है दृश्य मनोहर.
दिखा  रहें  हैं  मेघ , देखिये अपने तेवर.
कहता है अविनाश,झेलिये उनका नखरा.
भीगो  उनके संग,बरसते जब तक बदरा.
-----------------------------------------
--------------------------------------------
----------------------------------------
अविनाश बागडे......
-----------------------------------------

Views: 388

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 9, 2012 at 12:00am

कुण्डलिया के लिये बधाई, अविनाश भाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 8, 2012 at 8:38pm

सावन की रिमझिम फुहारों जैसी सुन्दर मनभावन कुंडलियाँ हार्दिक बधाई अविनाश जी 

Comment by AVINASH S BAGDE on August 8, 2012 at 7:15pm
Comment by UMASHANKER MISHRA on August 7, 2012 at 10:04pm

हरी-हरी धरती भई....आपके इस मनमोहक प्राकृतिक चित्रण ने मन को मोह लिया

सुन्दर दृश्य आँखों के सामने आ रहे है

धरा पर खुशियाँ छाई....मन नाच उठा

बहुत सुन्दर है कुण्डलियाँ

 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 7, 2012 at 4:18pm

आदरणीय    अविनाश जी सुन्दर सन्देश काश   ऐसे   ही   प्रकति   हमें   गले मिलाये खुशियाँ   बरसाए मन भावन दृश्य भरी कुण्डलियाँ 

भ्रमर ५ 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 3:48pm

//बदरा बरसे शान से, बिजुरी चमके जोर.

हरी - हरी धरती भई,जित देखूं उत ओर.//
आदरणीय अविनाश बागडे साहब ! दोनों कुंडलिया सुंदर बनी है जिसके लिए बहुत बहुत बधाई मित्र ....कृपया आदरेया सीमाजी के इशारे पर ध्यान दें !
Comment by seema agrawal on August 7, 2012 at 3:09pm

हरी - हरी धरती भई,जित देखूं उत ओर......वाह ....
पर कुछ बादल अब उधर भी जाने चाहिए जहां लोग वर्षा के लिए तरस रहे हैं 
अविनाश जी दूसरे छंद मे दोहे वाले भाग मे कुछ गडबड हो गयी 

कहता है अविनाश,युसुफ या रामखिलावन.

दोनों के हैं अधर,गा रहे मिलकर सावन.....बहुत बढ़िया भाव ... सच है प्र...

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service