For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज मैले पहिलो चोटी यो ग्रुपमा गज़ल पोस्ट गर्दैछु ! कस्तो लाग्यो प्रतिक्रिया सुझाव सल्लाहको अपेक्षा गर्दछु धन्यवाद !

गज़ल 

समयको गतिलाई कछुवाको चाल भन्छौ

भगवान् को सृष्टिलाई हचुवाको चाल भन्छौ 

 

चुपचाप अत्याचार सहेर म कति बसौं 

बिरोधमा उत्रिंदा म बझुवाको चाल भन्छौ 

 

असत्यको तिलस्वी त्यो ताज पनि फाली दिएँ 

बुद्धि छैन हेर हेर लठुवाको चाल भन्छौ 

 

दुई दिने पाहुना हौँ यो धर्तिमा हामी सबै 

शिर ढाक्ने ओत माग्दा भतुवाको चाल भन्छौ

 

'घायल'ले धेरै जित्यो हार्यो तर एकै प्राण 

तिमि पनि हार्छौ किन हरुवाको चाल भन्छौ

 

दलबीर सिंह बराइली 'घायल'

गुप्तेश्वर-३,रामेछाप 

हाल:अबुधाबी,युएई 

Views: 1001

Replies to This Discussion

घायल साहब
नेपाली तो हमें आती नहीं हां परन्तु जितना समझ में आया है बहुत पसंद आया है| मतले में एकदम ज़दीद ख़याल है और गज़ल की रंगत में रंगा हुआ है| अगर कुछ कठिन शब्दों का हिंदी/अंग्रेजी में अनुवाद कर दीजिए तो हम जैसों के लिए और सहूलियत रहेगी|

भाई दलबीर सिंह जी, चुकि नेपाली भी देवनागरी लिपि में ही लिखी जाती है तो बहुत कुछ तो समझ में आ रहा है, ग़ज़ल की शिल्प की अगर बात करे तो बहुत ही करीने से आप ने मतला से मकता तक में काफिया और रदीफ़ को निबाहने में सफल रहे है, कहन भी जितना समझ सका बेहतरीन लगा, उम्द्दा ख्यालात है, चुपचाप अत्याचार सहने को आपने गलत बताया है यह शे'र बहुत ही खुबसूरत ख्यालात को समाये हुए है |

 

विस्तार से तो हमारे नेपाली भाषी वन्धु ही ज्यादा बेहतर कह सकते है | शानदार ग़ज़ल हेतु बहुत बहुत बधाई और दाद स्वीकार करे |

राना प्रताप सिंह साहब !

आपको बहुत सुक्रिया अदा कर्ता हुँ कि आप ने नेपाली भाषाओं में लिखा हुवा गज़लें वाचन किया और समझने कि कोशिश कि ! मेरे लिए ए बहुत खुशीका बात है ! इससे ज्याद आपने प्रतिक्रिया भी दिया ओ मेरे लिए बहुत फायादे मन्द है ! अब आनेवाला गज़लोंका कठिन शब्द हिन्दी में वा इंग्लिश मे रुपान्तर कि कोशिश कर्ता हुँ ! 

गणेश जी 'बागी' साहब ! आपको भी बहुत सुक्रिया मेरे गज़ल बहुत मुस्किल के वाबजुद आपने वाचन किया और कमेन्ट भी किया ! लेख्ने में हिन्दी और नेपाली दोनो देवनागरी लिपि हि हें लेकिन भाषा अलग है ! इसलिए थोडा मुस्किल हो गया ! लेकिन मुझे लगा की आपको अच्छा से समझ आता है ! क्यूँ कि जो आपने बताया वो तो बिल्कुल सहि था ! फिर एकबार सुकिया आप ने किमती समय देकर प्रतिक्रिया लिखा !

आप सभी से फिर मुलाकात करुंगा ! भगवान सबको भला करें !

मीठो गजल घायल सर । मलाई हजुरका सबै गजलहरूले यसरी नै लोभ्याउँछन् ।

साह्रै मीठो लाग्यो हजुर गजल वाचनमा,आगामी दिनहरूमा पनि वाचन गर्ने सौभाग्य प्राप्त होस

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service