For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रौशन है उसके दम से - सलीम 'रज़ा' रीवा

221 2121 1221 212

 -

रौशन है उसके दम से सितारों की रौशनी 

ख़ुश्बू लुटा रही है बहारों की रौशनी

 -

इक वो है माहताब फक़त आसमान में 

फीकी है जिसके आगे हज़ारों की रौशनी

 -

तुम क्या गए कि चांदनी बे लुत्फ़ हो गई 

चुभती है क़ल्ब ओ जां में सितारों की रौशनी

उस घर से दूर रहती हैं हरदम मुसीबतें 

जिस घर में  हो क़ुरान के पारों की रौशनी 

 -

क्या जाने किस ग़रीब पे ढाएगी ये सितम 

पागल सी  हो गई है शरारों की रौशनी

-

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 623

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on December 3, 2019 at 6:30pm

आपकी महब्बत के लिए बहुत शुक्रिया जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहब।

Comment by SALIM RAZA REWA on December 3, 2019 at 6:30pm

आपकी महब्बत के लिए बहुत शुक्रिया जनाब दिगंबर नासवा  साहब।

Comment by SALIM RAZA REWA on December 3, 2019 at 6:29pm

आपकी महब्बत के लिए बहुत शुक्रिया जनाब तेजवीर साहब।

Comment by दिगंबर नासवा on November 28, 2019 at 8:12am

पागल सी हो गईं हैं शरारों की रौशनी ...

वाह ... बेहद लाजवाब शेर ... डोली दाद कबूल फरमाएं ...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 25, 2019 at 5:32am

आ. भाई सलीम रजा जी, सादर अभिवादन। इस बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by TEJ VEER SINGH on November 22, 2019 at 11:05am

हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम "रजा" रीवा जी। बेहतरीन गज़ल।

उस घर से दूर रहती हैं हरदम मुसीबतें 

जिस घर में  हो क़ुरान के पारों की रौशनी 

 -

क्या जाने किस ग़रीब पे ढाएगी ये सितम 

पागल सी  हो गई है शरारों की रौशनी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
1 hour ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
दिनेश कुमार posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service