For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जहाँ बुजुर्गों की सेवा हो, जीवन सुखमय होता है।
जो ठोकर देता बूढ़ों को, भार दुखों का ढोता है।।
अभिवादन नित करने वाले,सौम्य शील गुण पाते हैं।
वृद्ध अनादर करने वाले, खुद पीछे रह जाते हैं।।
रोदन करता जहाँ बुढ़ापा, घर आँगन भी रोते हैं।
इज्जत तार-तार होती जब, बूढ़े भूखे सोते हैं।।
कोमल किसलय को आँचल में, ढँककर दूध पिलाई थी।
अस्थिशेष असहाय निबल तन, झुकी कमर माँ ताई थी।।
पिचके गाल कराल हाल में, खाँस रहे बूढ़े बाबू।
पल-पल झिड़की देता बेटा, रौद्र रूप धर बेकाबू।।
वृद्धाश्रम में घुटते बूढ़े, बच्चे मौज मनाते हैं।
जीवन के इस सांध्य पहर में,जीते जी दफनाते हैं ?
समय एक दिन सबको बूढ़ा,अविरल करता जाता है।
अहंकार मद में जो डूबा,कभी समझ ना पाता है।।
तन की ये तरुणाई कब तक,ऐसे मौज मनाएगी।
रंग-रूप-रस तन की आभा,मिट्टी में मिल जाएगी।।
अतल वितल पाताल महातल,और रसातल जाएँगे।
बूढ़ों को अपमानित करके,जीवन में क्या पाएँगे ?
एक बात जो हृदयंगम हो,दिल से नहीं भुलाना है।
मात-पिता सब वृद्ध जनों को,कभी नहीं ठुकराना है।।
उनके फल से फलीभूत हो, कुटुम्ब की डाली-डाली।
जब तक साँस चले रग-रग में,करना उनकी रखवाली।।
शत-शत वंदन कर चरणों में, उनको गले लगा लेना।
देव तुल्य माँ बाप धरा पर, अपना शीश झुका देना।।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 7, 2019 at 10:59am

परमादरणीय समर साहब जी सादर अभिवादन आपके उत्साह वर्धन से मन बहुत प्रसन्न होता है ,दिल से आभार आपका

Comment by Samar kabeer on October 7, 2019 at 7:45am

जनाब डॉ. छोटेलाल सिंह जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 2, 2019 at 7:44pm

आदरणीय श्यामनारायन वर्मा जी उत्साह वर्धन के लिए आपका दिल से आभार

Comment by Shyam Narain Verma on October 2, 2019 at 6:25pm
आदरणीय डॉ. छोटे लाल सिंह जी, प्रणाम, बुढ़ापे पर उपदेशात्मक उम्दा रचना पर हार्दिक बधाई l सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
7 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service