For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे है भला क्या कमी जिंदगी से

बह्र- 122-122-122-122

मुझे है भला क्या कमी जिंदगी से।।

है रिश्ता मेरा तीरगी ,रौशनी से।।

मुझे बज्म इतना न पहचां रही है।

है पहचान मेरी-तेरी माशुकी से।।

कई बार गुजरे हैं तेरे शह्र से।

तेरी आशिक़ी से तेरी बेरुख़ी से।।

मुहब्बत के कुछ ऐसे क़िस्से सुने हैं।

की डर लगता है आज की आशिक़ी से।।

दिये की जरुरत किसे अब नही है?

बता किसकी कब है बनी तीरगी से??

पता मुझको उस शख्स का भी जरा दे।

अदावत रही ता-उमर हो ख़ुशी से।।

उन्हें कैसे अब हम बतायें जतायें।

की रिश्ता अलग अपना है दिल्लगी से।।

हैं हिस्से में मेरे बहुत कम वो रातें।

वो रातें हुई जो, हैं तनहा ख़ुशी से।।

मैं आँखों में उनकी उतर कर ये समझा।

के रिश्ता है इनका भी गम से ख़ुशी से।।

युं सहरा ही रहने दो आँखों को अपनी।

सुना दर्द देती हैं आँखें नमी से।।

लिखे हर्फ़ कागज़ के बोलें दफ़ा कई।

बड़ा फर्क है आदमी-आदमी से।।

आमोद बिंदौरी / मौलिक अप्रकाशित

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on January 22, 2018 at 7:01pm

बहुत बहुत आभार आ तस्दीक अहमद खान  साहब जी   

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 22, 2018 at 6:49pm

जनाब आमोद बिंदोरी साहिब , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाए। मतले  का उला मिसरा यूँ करलें --मुझे कोई शिकवा नहीं ज़िन्दगी से 

शेर2 , माशुकी कोई शब्द नहीं ,सही शब्द है माशूकी, उसे यूँ करसकते हैं ।

नहीं है शनासाई महफ़िल में अपनी --है पहचान मेरी तेरी दिलबरी से ।

शेर3 में ऐब तकाबुले रदीफैंन , यूँ करलें --हुआ सामना है कई बार मेरा ।

शेर4 सानी यूँ करलें --कि लगता है डर आजकी आशिक़ी से ।

शेर5 ऐब तकाबुले रदीफैंन , यूँ करलें --उजाला तो है हर किसी ज़रूरत -जहां में है निस्बत किसे तीरगी से ।

शेर6 ऐब तकाबुले रदीफैंन , यूँ करसकते हैं । मुझे नाम इक शख़्स का ही बता दो --गमों का जो करता हो सौदा खुशी से ।शेर7 यूँ करसकते हैं।

किसे जा के बतलायें हम अपनी उलझन -कोई बाज़ आता नहीं दिल्लगी से ।

शेर8 में कोई रब्त नहीं है ।शेर9 यूँ करलें ,।उतर कर निगाहों में उनकी ये जाना--है रिश्ता भी उनका अलम से खुशी से । 

आखरी शेर उला बह्र में नहीं , यूँ करलें ।  सभी को बराबर न आमोद समझो --बड़ा फ़र्क़ है आदमी आदमी से । 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 20, 2018 at 3:25pm

वाह वाह आदरणीय खूबसूरत ग़ज़ल हुई.

Comment by Mohammed Arif on January 20, 2018 at 7:50am

आदरणीय अमोद जी आदाब,

                         ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है । गुणीजन अपनी राय देंगे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on January 19, 2018 at 5:42pm

कई बार हँसकर के गुजरे हैं हमभी। तेरी आशिक़ी से तेरी बेरुख़ी से।।--आमोद बिंदौरी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service