For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल............उसी से दिल्लगी...

बहरे रुक्न.....हज़ज़ मुसम्मन सालिग

दिखा कर रोशनी जिसने किया है सृष्टि को पावन.

सघन तम में बसी जिसने किया है सृष्टि को पावन.

रही चर्चा यही जिसने किया है सृष्टि को पावन.

नहीं मिलती फली जिसने किया है सृष्टि को पावन.

हवाओं में, गुबारों में, समन्दर में वही साया

कहे मुझको परी जिसने किया है सृष्टि को पावन.

दिवाकर सांझ से मिलकर सितारे रात से कहते

वही सबसे बली जिसने किया है सृष्टि को पावन.

करें मत सृष्टि से रगड़ा रखें बस दृष्टि समता की

कयामत सौंपती जिसने किया है सृष्टि को पावन.

वही साकी, वही प्याला, वही मदमस्त हाला है

उसी से दिल्लगी जिसने किया है सृष्टि को पावन.

हकीकत को समझ सत्यम बहुत मुश्किल नहीं कोई

सिखाती सादगी जिसने किया है सृष्टि को पावन.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 531

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 7, 2016 at 7:11am

आ०  वामनकर भाई जी, सादर प्रणाम!  आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार, सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 7, 2016 at 12:13am

आदरणीय केवल प्रसाद जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. हार्दिक बधाई 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 5, 2016 at 7:21pm

आ० समर साहब जी  आदाब,  इस तारीफ के लिये आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया. सादर

Comment by Samar kabeer on March 4, 2016 at 9:48pm
जनाब केवल प्रसाद जी आदाब,वाह बहुत ख़ूब कामयाब ग़ज़ल कही आपने,तवील रदीफ़ में बहुत अच्छे अशआर निकाले आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 4, 2016 at 7:53pm

आ०  श्याम नरायण भाई जी, सादर प्रणाम!  आपका हार्दिक आभार, सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 4, 2016 at 7:52pm

आ० कांता जी, सादर प्रणाम!  आपका हार्दिक आभार, सादर

Comment by Shyam Narain Verma on March 4, 2016 at 5:59pm
बहुत खूब , हार्दिक बधाई । सादर
Comment by kanta roy on March 4, 2016 at 10:07am
वही साकी, वही प्याला, वही मदमस्त हाला है
उसी से दिल्लगी जिसने किया है सृष्टि को पावन...... वाह ! बहुत खूब कही है आपने आदरणीय केवल प्रसाद जी । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
15 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
17 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
17 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
17 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
17 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
18 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service