For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इसीलिए फूले फिरते हो [कविता ]

 दुःख से अब तक नहीं मिले हो

इसीलिए फूले फिरते हो I

 

 ज्ञान  ध्यान की बातें सारी 

सुख सुविधा संग लगती प्यारीI

चेहरे पर पुस्तक  चिपकाये

दूजों को ही पाठ पढ़ाये

खुद  उनको तुम सीख न पाए I

खुद को पढ़ना  भूल गए  हो

इसीलिए  फूले फिरते हो I

 

 चीज़ों का बस संचय करना

अलमारी को हर दिन भरना I 

नया जूता जो देता छाला

लगता कितना  पीड़ा वाला I

नंगे पैरों के छालों से

अब तक शायद नहीं मिले हो

इसीलिए फूले फिरते हो I

 

प्यार दोस्ती वादे यादें

सब कुछ है ,पर इनके आगे

हरदम एक संशय रखते हो

नहीं कहा , वो भी सुनते हो I 

 हर चेहरे का मंथन करते  

खुद दर्पण से नहीं मिले हो

इसीलिए फूले फिरते हो I

 

भर भर लाते खूब उजाला

चमकाते हर कोना घर का I

सड़क लाइट पर पढ़ता  देखो

वो इक बालक झुग्गी वाला I

मांगेगा इक दिन हिसाब जो

अपने हिस्से के प्रकाश का I

तम से अब तक नहीं मिले हो

इसीलिए फूले फिरते हो I

 

दुःख से अब तक नहीं मिले हो

इसीलिए फूले फिरते हो I 

 

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2015 at 10:35am

आदरनीया प्रतिभा जी , सुनदर भाव लिये गीत रचना हुई है , लय कहीं कहीं बाधित है ! आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by pratibha pande on September 2, 2015 at 9:16am
आदरणीया कांता जी आपको रचना पसंद आई ,आपकी ह्रदय से आभारी हूँ .
Comment by kanta roy on September 1, 2015 at 9:59pm
दुःख से अब तक नहीं मिले हो
इसीलिए फूले फिरते हो I
..... यथार्थ की कसौटी पर कसे गये ये शब्द भाव अप्रतिम है । बधाई इस भावपूर्ण रचना के लिए आदरणीया प्रतिभा जी ।
Comment by pratibha pande on September 1, 2015 at 6:36pm

आदरणीय  सुशील सरना जी ,आपको रचना पसंद आई , आपकी ह्रदय से आभारी हूँ   

Comment by pratibha pande on September 1, 2015 at 6:32pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,रचना पर आपकी प्रतिक्रया व् मार्गदर्शन के लिए आभारी हूँ ,इस विधा पर आपके आलेख और रचनाओं को पढ रही हूँ ,आपके मार्ग दर्शन की आगे भी प्रतीक्षा रहेगी.
Comment by pratibha pande on September 1, 2015 at 6:16pm
आदरणीय मिथिलेश जी ,रचना पर प्रोत्साहन के लिए आपका ह्रदय से आभार
Comment by Sushil Sarna on August 31, 2015 at 7:55pm

दुःख से अब तक नहीं मिले हो
इसीलिए फूले फिरते हो I .... बहुत ही सुंदर कथ्य आदरणीया प्रतिभा जी … हकीकत का बहुत ही सुंदर चित्रण हुआ है आपकी इस दिलकश प्रस्तुति में। हार्दिक बधाई आदरणीया।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 31, 2015 at 6:21pm

आदरणीया प्रतिभाजी, रचना वाचन के अलावा जो प्रसन्नता की बात है वह ये कि यदि सही ढंग से पालन हो तो आपकी रचनाधर्मिता की भूमि नवगीत विधा के बीज को सार्थक वातावरण भी दे सकती है. 

प्रस्तुति में अनगढ़पन अवश्य है लेकिन भावदशा और तेवर सारा कुछ नवगीत का है. इस हेतु हार्दिक बधाइयाँ.

मैं कुछ विन्दु स्पष्ट कर रहा हूँ उस पर मनन करना उचित होगा -- 

१) ध्वन्यात्मक तुकान्तता के मोह से जितना हो सके बचें. 

२) पंक्तियों की कुल मात्रिकता के प्रति अत्यंत दृढ़ रहें. 

३) शब्द-संयोजन की आपके पास नैसर्गिक समझ है. इसे विधाजन्य बनायें. आप इसके लिए छन्द विधान समूह में छन्दों पर के आलेख पढ़ जायें. वैसे वहीं इस विषय पर भी एक लेख है. 

हार्दिक शुभकामनाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 31, 2015 at 2:22pm

आदरणीया प्रतिभा जी, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हुई है. रचना का प्रत्येक बंद बहुत गहन विचार का परिणाम है.  इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
4 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
10 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
15 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
19 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
35 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
40 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
42 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
44 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
45 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service