For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शुरू है पत्‍नी सेवा दल मुझे हर दम बताती है

दिखा बेलन सुबह से शाम तक मुझको डराती है

बदन में दर्द हो उसके करो तुम तेल से मालिश

रहेगी खुश सदा तुमसे लगाओ जब उसे पालिश

सुबह पूजा करो उसकी न है अब वो चरण दासी

अगर ऐसा न कर पाये मिले भोजन तुम्‍हें बासी

बनाना रोज वो मुझका नया एक डिस सिखाती है

शुरू है पत्‍नी सेवा दल मुझे हर दम बताती है

दिखा बेलन सुबह से शाम तक मुझको डराती है

अगर उसके कभी भाई चले आये तुम्‍हारे घर

न हटना तुम कभी पीछे करो सेवा मिलेगा वर

किसी से सीख लेना तुम पडे़ बतर्न धुलें कैसे

सभी कपडे़ धुलो अब तुम खटो गदहे खटे जैसे

मुझे वो प्‍यार करने की कह बातें रूलाती है

शुरू है पत्‍नी सेवा दल मुझे हर दम बताती है

दिखा बेलन सुबह से शाम तक मुझको डराती है

सजे बारात तारों की चले आना घरो को तुम

समय पे घर नहीं आये समझ लेना हुई वो गुम

करे जो माग तुमसे वो कभी भी ना नहीं करना

भरे हो माँग उसकी तुम हमेशा याद ये रखना

बिना नारी अधूरा नर मुझे कह कर सताती है

शुरू है पत्‍नी सेवा दल मुझे हर दम बताती है

दिखा बेलन सुबह से शाम तक मुझको डराती है

मौलिक एवं अप्रकाशित

अखंड गहमरी

Views: 630

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on April 12, 2015 at 6:47pm

उत्‍साहवर्धन्‍ा के लिए आपको नमन आदरणीय डा विजय शंकर जी

Comment by Akhand Gahmari on April 12, 2015 at 6:46pm

उत्‍साहवर्धन के लिए आपको नमन आदरणीय डा0 गोपाल नारायण श्रीवास्‍तव जी आपको चरण स्‍पर्श

Comment by Akhand Gahmari on April 12, 2015 at 6:45pm

उत्‍साहवर्धन के लिए नमन आदरणीय सौरभ पाड़े जी, आपके सुझाव एवं मार्गदर्शन का फल है जो आप आंशिक रूप से प्रभावित हुये, करे वो माग तुमसे जो कभी तुम ना नहीं करना और मेरी पंक्यिों में बात की सार्थकता का अन्‍तर है जैसा मेरा सोचना है आपको चरण स्‍पर्श

Comment by Akhand Gahmari on April 12, 2015 at 6:43pm

उत्‍साहवर्धन के लिए नमन आदरणीय मिथिलेस वामनकर जी

Comment by Akhand Gahmari on April 12, 2015 at 6:42pm

उत्‍साहवर्धन के लिए नमन आदरणीय जितेन्‍द्र पस्‍टारिया जी

Comment by Akhand Gahmari on April 12, 2015 at 6:42pm

उत्‍साहवर्धन के लिए नमन आदरणीय सोमेश कुमार जी

Comment by somesh kumar on April 2, 2015 at 11:53am

कृपया सेवा-दल लिखें अलग होने से अर्थ ग्रहण भिन्न हो रहा है |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 2, 2015 at 9:52am

बहुत खूब, आदरणीय अखंड जी. पढ़कर मजा आ गया,बधाई इस हास्य प्रस्तुति पर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 1, 2015 at 11:45pm

आदरणीय अखंड जी इस हास्य प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 1, 2015 at 10:13pm

क्या बात है !! क्या बात है !!!

इस हास्य कविता के शिल्प पर आपने जो श्रम किया है वह आपके दृढ़ निश्चयी होने का परिचायक है. कथ्य प्रस्तुतीकरण में तनिक और इनोवेटिव होना था. फिर भी, आपकी प्रस्तुतियों के स्तर में गुणात्मक परिवर्तन हुआ है भाई अखण्ड गहमरी जी.

मैं दिल से बधाई तथा शुभकामनाएँ दे रहा हूँ.

बनाना रोज वो मुझका नया एक डिस सिखाती है ..  इस पंक्ति में एक को इक ही रखें.

मुझे वो प्‍यार करने की कह बातें रूलाती है  .. यह पंक्ति शिल्प के तौर पर सुधार चाहती है. है न ?

दूसरे, मांग गलती से माग हो गया है.

और करे जो माग तुमसे वो कभी भी ना नहीं करना  को करे जो मांग तुमसे वो कभी तुम ना नहीं करना  करें तो अधिक अच्छा. किन्तु, ऐसा क्य़ॊं करना चाहिये ये मैं नहीं बताऊँगा, बल्कि आप बतायेंगे. :-)))

आज आपने मन खुश कर दिया भाई..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
15 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service