For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अरे!!  तुम्हारे जैसे गरीब अनाथ के झोपड़े में महात्मा गाँधी की तस्वीर...”

 

“हाँ! साहब,  अभी कुछ दिन पहले ही लोगों ने चौराहे पर इस तस्वीर को लगाकर.. मालायें पहनाई, खूब  जोर-शोर से भाषण-बाजी की. फिर इसे सब,  वहीं छोड़कर चले गये.. ये वहां बे-सहारा थे,  तो इन्हें अपने घर ले आया...”

 

 

     जितेन्द्र पस्टारिया

 

 (मौलिक व् अप्रकाशित)   

 

Views: 800

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 27, 2015 at 8:36pm

उत्साहवर्धन हेतु आपका आभारी हूँ, आदरणीय विनय जी

सादर!

Comment by विनय कुमार on January 26, 2015 at 8:01pm

अच्छा कटाक्ष करती लघुकथा है , बधाई आपको..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:56pm

आदरणीय गिरिराज जी, आपकी बधाई सहर्ष शिरोधार्य है. आपका ह्रदय से आभार, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:53pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी, आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ. स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:51pm

आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया पाकर बहुत मनोबल मिला, आदरणीया कांता जी. आपकी उपस्थिति हेतु आपका आभारी हूँ

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:44pm

आपकी विस्तृत व् सटीक प्रतिक्रिया लघुकथा की सार्थकता का प्रमाण दे रही है आदरणीय शिज्जू जी. स्नेह बनाए रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:41pm

सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार , आदरणीय वीर मेहता जी.

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:39pm

रचना आपका आशीर्वाद पाकर, धन्य हुई आदरणीय डा.विजय जी. स्नेहिल आशीर्वाद बनाए रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:37pm

आदरणीया राजेश दीदी, आपकी स्नेहिल व् मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया की सदा प्रतीक्षा रहती है. स्नेह बनाए रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:34pm

आदरणीय विनोद जी, आपकी उपस्थिति हेतु आपका हार्दिक आभार

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
17 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
23 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service