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हर जगह हर घडी बस तू साथ है 

जहाँ मेरी नज़रे पडी बस तू साथ है

 छोड़ा वक़्त ने जहाँ मुझ बदनसीब को

वहां पे मिली खड़ी बस तू साथ है

मेरे  नये संसार में बस तू साथ है

प्यार के व्यवहार में बस तू साथ है

बदल गये जिसमें मेरे सब चाहने वाले 

उस वक़्त के रफ़्तार में बस तू साथ है

मोहब्बत के इस कर्ज़ में बस तू साथ है

इंसानियत के फ़र्ज़ में बस तू साथ है

यूँ  तो खुशियों के हमदर्द  सब हैं मगर 

 मुझे मिले हर दर्द में बस तू साथ है 

सावन का असर है जब तू साथ है 

यौवन भी अजर है जब तू साथ है 

ज़िन्दगी की  मेरी कमाई हो तुम

मौत का भी क्या डर है जब तू साथ है ||

***************************************

"मौलिक व अप्रकाशित " 

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Comment

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Comment by maharshi tripathi on December 27, 2014 at 6:50pm

छमा करें, आ.मिथिलेश जी ,गलती से 2 बार पोस्ट हो गयी है |


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Comment by मिथिलेश वामनकर on December 26, 2014 at 10:14pm

आदरणीय महर्षि  भाई जी एक ही रचना दो बार क्यों पोस्ट कर रहे है -

1- http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:598343

2- http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:598580

Comment by somesh kumar on December 25, 2014 at 11:16pm

ईश्वर /माँ /पत्नी  कोई भी हो सकता है जो हमेशा आप के जीवन को प्रेरित करता है |साथ रहता है |मंच पर शायद ये दूसरी रचना है आपकी ,अच्छा प्रयास है ,बस अभ्यास करते रहें |

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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