For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नयी धूप मै ले आऊँगा !

नयी धूप मै ले आऊँगा !
नए साल मे ,
नया सवेरा -
नयी धूप मै ले आऊँगा ।
सपनों के डोले से ,
हर पल –
खुशियाँ सब पर बरसाऊंगा ।
मांगूंगा मै ,
ढेरों खुशियाँ -
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे मे I
सुख, शांति की बारिश होगी
भारत के हर घर बारे मे ।
शांति प्रेम का संदेशा ले ,
मै तो अब –
घर घर जाऊंगा ।
नए साल मे ,
नया सबेरा -
नयी धूप मै ले आऊँगा ।
~~~ मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 729

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by S. C. Brahmachari on January 4, 2014 at 9:17pm
बहन बंदना जी,
रचना आपको अच्छी लगी, आभार! सुख, शांति, एवं समृद्धि की मंगलकामनाओं के साथ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
Comment by vandana on January 4, 2014 at 5:59am

बहुत सुन्दर भावों से भरी रचना है आदरणीय सर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 3, 2014 at 11:02pm

मुझ अकिंचन की उपस्थिति मात्र यदि देवघर जैसी देवभूमि में आपके व्यतीत पलों की पवित्र स्मृतियों का कारण बन जाय तो यह मेरा परम सौभाग्य ही है, आदरणीय ब्रह्मचारीजी.

शुभ-शुभ

Comment by S. C. Brahmachari on January 3, 2014 at 9:03pm
श्रद्धेय भाई सौरभ पांडेय जी,
रचना पर आपकी टिप्पणी ठंडी हवा का झोंका सा लगता है, अच्छा लगता है । न जाने क्यूं मै गुरुकुल, देवघर की यादों मे डूबने, उतराने लगता हूँ ..... आपके एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ तथा रचना पर धन्यवाद हेतु आभार !

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 3, 2014 at 1:32pm

शुभ भावनाओं और शुभकामनाओं से पगी इस अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय ब्रह्मचारीजी.

सादर

Comment by S. C. Brahmachari on January 1, 2014 at 9:47pm
आ0 कुंती भाभी,सत्यनारायन सिंह जी, विजय निकोर जी, अखिलेश कुमार श्रीवास्तव जी, अरुण शर्मा अनंत जी, डॉ प्राची जी~~~
रचना के भाव प्रशंसा के लिए हृदय से आभारी हूँ । ******* सुख, शांति एवं संबृद्धि की मंगलकामनाओं के साथ आप और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ********* !! ॐ !!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 1, 2014 at 5:03pm

हर पंक्ति स्नेह शुभ भाव और आत्मविश्वास से सराबोर 

इस सुकोमल उत्कृष्ट भाव लिए मधुर मनमोहक रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय एस सी ब्रह्मचारी जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 1, 2014 at 1:18pm

आदरणीय सुन्दर सन्देश देती बहुत ही शानदार रचना बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 1, 2014 at 12:52pm

आदरणीय  ब्रम्हचारी जी , नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ आपको इस सुंदर गीत् की भी हार्दिक बधाई॥

Comment by vijay nikore on January 1, 2014 at 10:15am

बहुत सुन्दर संदेश दिया है। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
15 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service